सत्यपाल सिंह राजपूत, रायपुर। मछली पालन का खेती का दर्जा मिलना चाहिए. जैसे खेती के लिए हजारों करोड़ रुपए लोन देते हैं, वैसे ही मछुआरों को लोन देने में हमें कोई दिक्कत नहीं होगी. यह बात मुख्यमंत्री डॉ. भूपेश बघेल ने विश्व मत्स्य दिवस पर छत्तीसगढ़ मछुआरा समाज सम्मेलन में मौजूद समाज के लोगों को संबोधित करते हुए कही.

मुख्यमंत्री निवास में आयोजित कार्यक्रम में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने विश्व मत्स्य दिवस की बधाई देते हुए कहा कि आदिकाल से मछुआरों का अपना एक स्थान है. भगवान राम उपासक हैं, लेकिन दुर्भाग्य की बात यह है पिछले सरकार ने भगवान राम जैसे मछुआरों को गला लगाए थे, वैसे गले नहीं लगाए. पूर्व सरकार पर तंज कसते हुए उन्होंने रोटी के लिए बंदर और बिल्ली की लड़ाई का उदाहरण देते हुए कहा कि मछुआरों के नाम पर लाल हो गए, लेकिन मछुआरों की स्थिति में बदलाव नहीं आया.

उन्होंने कहा कि जब हम लोग गोबर खरीदी प्रारंभ किए, साथ ही उनके खाने-रहने की व्यवस्था के लिए गौठान बनाया. नरवा हमारे जीवन से जुड़ा है, सभी नरवा को हम बाँधते जाएंगे तो नदी और तालाब चार्ज होगा, और मछली पालन को बढ़ावा मिलेगा. कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री ने मछली कीट के साथ मछुआरों को टू-व्हीलर की चाबी सौंपी.

आयोजन में मौजूद कृषि मंत्री रविंद्र चौबे ने कहा कि सरकार का उद्देश्य है कि मछली का पूरा काम मछुआरों को मिले. ठेकेदार मालामाल नहीं होंगे, अब मछुआरा सीधा काम करेंगे. हमें राजस्व की चिंता नहीं है. हम सभी पैसा मछुआरों के अकाउंट में डालेंगे, इस अवसर पर कृषि मंत्री ने मछुआरों को एक हजार मोटरसाइकिल वितरण करने की घोषणा करते हुए कहा कि इससे मछुआरों को अपना काम करने में आसानी होगी. उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ में अब सिर्फ मछुवारे ही नहीं हर समाज के लोग मछली पालन कर रहे हैं.