रायपुर. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने पुलवामा हमले को एक षडयंत्र करार देते हुए आंतकियों के मददगार कश्मीर के पूर्व डीएसपी देवेंद्र पर देशद्रोह का केस दर्ज न होने पर और आनन-फानन में इसे एनआईए को सौंपने पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं.
बिलासपुर जाने से पहले पुलिस लाइन हैलीपैड पर मीडिया से बात करते हुए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने ये बात कही. भूपेश बघेल ने मोदी और शाह से पूछा कि कौन सा राज है जिसे वो छिपाना चाहते हैं.
बघेल ने कहा कि पुलवामा हमला एक षडयंत्र करार दिया. उन्होंने फिर पूछा कि पुलवामा में 350 किलो आरडीएक्स लेकर कौन, कैसे पहुंचा. इसकी जांच क्यों नहीं हो रही है. भूपेश बघेल ने देवेंदर की गिरफ्तारी को लेकर भी सवाल उठाए हैं. उन्होंने कहा कि देवेंद्र की गिरफ्तारी उस वक्त हुई है जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री में मतांतर सामने आ रहे हैं.
गौरतलब है कि अब लगातार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह के बीच मतभेद के आरोप लगा रहे हैं. इससे पहले उन्होंने 17 जनवरी को आरोप लगाया था कि देश मोदी और शाह के बीच मनमुटाव का खामियाजा भुगत रहा है और शाह ही केंद्र की सत्ता चला रहे हैं.
गौरतलब है कि 14 फरवरी 2019 के लोकसभा चुनाव से ठीक पहले पुलवामा में आतंकी हमला हुआ था. पुलवामा सुरक्षाबलों की एक गाड़ी में आतंकियों ने विस्फोक किया था. जिसमें 40 से ज़्यादा जवान शहीद हो गए थे. इसके बाद भारत ने पाक अधिकृत कश्मीर में जवाबी कार्रवाई करते हुए बम बरसाए. भाजपा के नेताओं ने दावा किया कि इस हमले में सैकड़ों आतंकी ढेर हो गए हैं. इस पूरी घटना का असर अप्रैल-मई को लोकसभा चुनाव में देखने को मिला. भाजपा ने इस मुद्दे को ज़ोरशोर से लोकसभा चुनाव में उठाया और इसके बाद वो दोबारा सत्ता में आई.
इसके बाद इसी साल 14जनवरी को कश्मीर में वहां के डीएसपी देवेंद्र सिंह को पुलिस ने आतंकवादियों को ले जाते हुए पकड़ा. इसकी गिरफ्तारी के बाद केस एनआईए को सौंप दिया गया है. जबकि मामले में कई खुलासे होने के बाद भी उस पर देशद्रोह का केस नहीं दर्ज किया गया है.
संपादकीय नज़रिया
इस बात को समझना होगा कि बार-बार मुख्यमंत्री भूपेश बघेल मोदी और शाह में मतभेद की बात क्यों उठा रहे हैं. दरअसल, मतभेद की बात प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री  वो एनआरसी के संदर्भ में उठा रहे हैं. देश के सामने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि सरकार एनआरसी लेकर नहीं आएगी. जबकि उसके पहले अमित शाह लगातार एनआरसी को लागू करने की बात कहते रहे हैं. उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बयान के बाद भी कहा कि इस पर चर्चा नहीं हुई है लेकिन ये बीजेपी के घोषणापत्र में है.
सवाल ये उठता है कि मोदी के दूसरे कार्यकाल में अमित शाह बेहद ताकतवर दिख रहे हैं. 2019 के चुनाव परिणाम से पहले अमित शाह बेहद आश्वस्त दिख रहे थे जबकि नरेंद्र मोदी के चेहरे पर मौजूद तनाव हर कोई देख रहा था. उसके बाद केंद्र की भाजपा के प्रभुत्व वाली एनडीए सरकार लगातार उन मुद्दों को लागू करवा रही है जो वर्षों से संघ के एजेंडे में रहे हैं. इन मुद्दों को लागू कराने में सामने मोदी की बजाय बार-बार शाह का चेहरा नज़र आ रहा है.
संसद में 370 और राम मंदिर को लेकर सामने अमित शाह नज़र आए. ऐसे में ये सवाल उठना लाज़िमी है कि क्या अब शाह को ही संघ आगे किए हुए है. क्या वो अब संघ के ज़्यादा करीब हैं. सीएए को लेकर देशभर में प्रदर्सन हो रहे हैं. लेकिन इसके विरोध में सबसे बड़ा चेहरा अमित शाह का ही है. भूपेश बघेल के बयान को इसी नज़रिए से देखना होगा.