रायपुर। प्रत्येक गांव अपने आप में गणराज्य है, गांवों में अब भी गण का विधान चलता है. उन्हें विश्वास में लेकर काम कीजिए, लोग आपका साथ देंगे. आप गांव में सारी सुविधाएं दीजिये ताकि पलायन ना हो, फिर ग्रामीण गांव से शहर की ओर सिर्फ घूमने आएंगे. यह बात मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आईएएस एसोसिएशन के कॉन्क्लेव में शामिल आईएएस अधिकारियों से कही.
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि इस आयोजन में मुझे भी आने का अवसर मिला. मेरे लिए पहला अनुभव है. कैसे बैठना है ? कैसे खाना है ? यह सारी बातें देखने को मिला. चीफ गेस्ट जब खाना शुरू करें तो सब खाना शुरू करेंगे. उठेंगे तो सब उठेंगे. अच्छा अनुभव हुआ. बहुत सारे अधिकारी अलग-अलग प्रदेशों से अलग-अलग पृष्ठभूमि से आए हैं. यहां की भाषा यहां की सांस्कृतिक विरासत. काम करने के तौर तरीके सब अलग बात है. हमारे यहां सैकड़ों हजारों सालों से जो परंपराएं चली आ रही है उसकी जानकारी मैंने अधिकारियों को दी है. तरीघाट की खुदाई से जो तथ्य सामने आए हैं, यह बताता है कि हमारा दो हज़ार साल से ज्यादा पुराना इतिहास है. हम खेती पर निर्भर नहीं थे. जितनी जरूरत होती थी, उतना उत्पादन करते थे. मुख्यता व्यवसाय कारीगरी, काष्ठ कला और मेटल का काम था. यह काम हर गांव में होता था. इससे व्यापार और व्यवसाय चलता था.
उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ में लोहा गलाने की पुरानी व्यवस्था वर्षों से चली आ रही है. स्टेनलेस स्टील बनाई जाती थी, जिसमें जंग नहीं लगता था. प्रशासनिक व्यवस्थाओं के बारे में अधिकारियों को मैंने जानकारी दी है. इतिहास से सीखते हुए आगे की व्यवस्था को आधुनिक तरीके से आगे बढ़नी चाहिए. योजनाएं हम बनाते हैं, उसमें आईएएस अधिकारियों का योगदान होता है. इंप्लीमेंट करने वाले अधिकारी होते हैं, यदि इसके मूल तत्व को अधिकारी समझेंगे तो कोई भी योजना तब काम अच्छे से होगा. यदि पेमेंट करने की बात होगी तो योजना के नतीजे बेहतर नहीं आएंगे.
मुख्य सचिव अमिताभ जैन ने कहा कि निर्वाचित जनप्रतिनिधि हमारे बारे में अच्छे से जानते हैं. आईएएस को निर्वाचित जनप्रतिनिधि को हमेशा सही सलाह देनी चाहिए. बोलइया के जिल्लो बेचा जाथे, अउ नई बोलइया के चना घलो नई बेचाये. जिन्हें व्यवसाय की कला आती है उनका तुच्छ सा सामान भी बिक जाता है और जो इस कला से अनभिज्ञ हैं वे अपना कीमती सामान भी नहीं बेच पाते हैं.
आईएएस एसोसिएशन के अध्यक्ष मनोज पिंगुआ ने कहा कि किसी भी सिविल सर्विसेस में सबसे टॉपर आईएएस अधिकारी होते हैं. सिविल सेवा का काम जटिल होता चला जा रहा है. निर्णय लेने में अंतर्द्वंद की स्थिति निर्मित हो रही है. ऐसे द्वंद से कैसे बचा जा सके? इस बारे में वरिष्ठ अधिकारी और उनके अलावा जो नान आईएएस जो हैं उनकी राय सुनकर विचार विमर्श किया गया. कॉन्क्लेव का मुख्य उद्देश्य ही होता है कि मैदानी अधिकारी और मंत्रालय के अधिकारी के बीच बेहतर समन्वय हो संवाद हीनता की कमी ना हो एक टीम के साथ काम करें. मतभेद और मत भिन्नता की वजह से राज्य की योजनाओं की गति पर बुरा प्रभाव पड़ेगा. मुख्यमंत्री ने भी मार्गदर्शन दिया है. नए बैच के लिए यह बेहद उपयोगी साबित होगा. पुराने समाज में प्रशासन व्यवस्था कैसे चलती थी इस बारे में विस्तार से मुख्यमंत्री ने जानकारी साझा की है. बता दें कि इस कार्यक्रम का संचालन IAS डॉ. प्रियंका शुक्ला ने छत्तीसगढ़ी में किया.