रायपुर – मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इंस्टिट्यूट ऑफ चार्टर्ड एकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया के चैलेंजिंग द चैलेंज्स विषय पर आयोजित तीन दिवसीय राष्ट्रीय अधिवेशन का विधिवत शुभारंभ करते हुए कहा कि आईसीएआई ने बहुत ही सम-सामयिक विषय को चर्चा-परिचर्चा के लिए चुना है। उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में बहुत सारी चुनौतियां हमारे सामने मौजूद हैं, जिसका निदान हम दृढ़ इच्छा शक्ति और सही फैसले लेकर कर सकते हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्तमान समय में कोरोना महामारी, जलवायु परिवर्तन, पर्यावरण प्रदूषण, उद्योग, व्यवसाय, किसानों की आर्थिक स्थिति सहित अन्य कई चुनौतियां विद्यमान है।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आगे कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार इन चुनौतियों को चुनौती के रूप में स्वीकार कर काम कर रही है। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में कोरोना महामारी के नियंत्रण के लिए छत्तीसगढ़ सरकार ने बेहतर प्रबंधन, चिकित्सा सुविधा को सुदृढ़ एवं विस्तारित करने के साथ ही कई ऐहतियाती फैसले लिए और उसका पूरी दृढ़ता के साथ क्रियान्वयन सुनिश्चित किया। यही वजह है कि छत्तीसगढ़ कोरोना महामारी के प्रकोप से जल्द से जल्द उबरने में कामयाब रहा। इंस्टिट्यूट ऑफ चार्टर्ड एकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया द्वारा यह तीन दिवसीय कार्यशाला अधिवेशन रायपुर, भिलाई एवं बिलासपुर के सौजन्य से आयोजित किया जा रहा है। जिसका वर्चुअल शुभारंभ मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने रायपुर स्थित अपने निवास कार्यालय में मां सरस्वती की पूजा-अर्चना कर की। इस अवसर पर मध्यभारत केन्द्रीय परिषद के सचिव शशिकांत चन्द्राकर, बिलासपुर शाखा के अध्यक्ष दिनेश कुमार अग्रवाल, रायपुर शाखा के सचिव रवि ग्वालानी तथा कार्यक्रम संयोजक सचेन्द्र जैन मौजूद थे। इस कार्यक्रम में आईसीएआई के राष्ट्रीय अध्यक्ष निहार निरंजन जाम्बुसारिया, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष देवाशीष मित्रा, सेंट्रल काउंसिल सदस्य के मिशा सोनी, कार्यक्रम निदेशक समीर सिंह सहित देश के सभी राज्यों से लगभग 6500 चार्टर्ड एकाउंटेंट्स वर्चुअल रूप से शामिल हुए।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इस मौके पर कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार के सुराजी गांव योजना के तहत वर्षा जल के रोकथाम, पशुधन के संरक्षण एवं संवर्धन, जैविक खेती, पोषणयुक्त खाद्यान्न, फल एवं सब्जी के उत्पादन को बढ़ावा तथा गांव में आजीविका के साधनों में बढ़ोत्तरी के उद्देश्य से नरवा, गरूवा, घुरवा और बाड़ी कार्यक्रम शुरू किया गया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि गोधन न्याय योजना के माध्यम से गौठानों में गोबर की खरीदी और उससे जैविक खाद तैयार कर रहे हैं। एक साल अभी पूरा नहीं हुआ है इस योजना के माध्यम से 48 लाख क्विंटल गोबर की खरीदी की गई है। इसका उद्देश्य गौपालन की परम्परा को सुदृढ़ करना और रासायनिक उर्वरकों पर निर्भरता कम कर जैविक खाद्यान्न के उत्पादन को बढ़ावा देना है। मुख्यमंत्री ने कहा कि रासायनिक उर्वरकों और पेस्टीसाइट्स के बेतहाशा इस्तेमाल से खाद्यान्न में जहरीले तत्वों की मात्रा बढ़ती जा रही है, जिसका सीधा दुष्प्रभाव हम सबके स्वास्थ्य पर पड़ रहा है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि देश में 70 के दशक में खाद्यान्न की कमी को पूरा करने के लिए विदेशों से खाद्यान्न आयात करना पड़ता था। देश को खाद्यान्न के रूप में आत्मनिर्भर बनाने की चुनौती को अन्नदाताओं ने स्वीकार किया। आज यह स्थिति है कि देश में जरूरत से ज्यादा खाद्यान्न का उत्पादन होने लगा है। किसानों को उनकी मेहनत और लागत के अनुसार कीमत मिलनी चाहिए। छत्तीसगढ़ में धान का अधिक उत्पादन होता है। उपार्जित धान की अतिरिक्त मात्रा से एथेनॉल तैयार करने की योजना हमने दो साल से तैयार कर रखी है, परन्तु केन्द्र सरकार अनुमति नहीं दे रही है। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह चिंता का विषय है। उन्होंने कहा कि इससे अतिरिक्त धान का निष्पादन होगा। एथेनॉल के उत्पादन से पेट्रोलिम पदार्थों की खपत में कमी आएगी और मुद्रा की बचत होगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि इन चुनौतियों का समाधान राष्ट्रीय स्तर पर किया जाना चाहिए। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इस मौके पर पर्यावरण संरक्षक एवं वायु प्रदूषण की समस्या के निदान के लिए छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा वृक्षारोपण को बढ़ावा देने के लिए शुरू की गई मुख्यमंत्री वृक्षारोपण प्रोत्साहन के बारे में भी विस्तार से जानकारी दी।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इस मौके पर चार्टर्ड एकाउंटेंट्स एसोसिएशन से छत्तीसगढ़ राज्य में उद्योग एवं व्यापार जगत से जुड़े निवेशकों को निवेश के लिए प्रेरित करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ राज्य की नयी औद्योगिक नीति में उद्योग एवं व्यापार को बढ़ावा देने के लिए कई आकर्षक प्रावधान किए गए हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि हम राज्य में कृषि, वनोत्पाद के साथ ही खाद्य प्रसंस्करण, दवा, रक्षा उत्पादों, इलेक्ट्रॉनिक्स, सोलर जैसे नए क्षेत्रों को बढ़ावा दे रहे हैं। छत्तीसगढ़ राज्य कोरोना काल में भी इस्पात उत्पादन, कृषि उत्पादन, वनोपज के साथ ग्रामीण अर्थव्यवस्था को गतिशील बनाने में सफल रहा है। किसानों, ग्रामीणों, वनवासियों को नगद सहायता देने के कारण ऑटोमोबाइल, रेडिमेट गारमेंट से लेकर सराफा बाजार तक हमारे यहां बेहतर कारोबार हुआ है। इज ऑफ डूईंग बिजनेस के मापदण्डों में भी छत्तीसगढ़ देश के अग्रणी राज्यों में शामिल है। आप सबको यह जानकर खुशी होगी कि नीति आयोग द्वारा 3 जून को कम्पोजिट एसडीजी इंडिया इंडेक्स में सतत् विकास लक्ष्यों के मूल्यांकन में छत्तीसगढ़ राज्य परफार्मर राज्य माना गया है। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने आईसीएआई की स्मारिका का विमोचन किया।
इस अवसर पर आईसीएआई के राष्ट्रीय अध्यक्ष निहार निरंजन जाम्बुसारिया ने छत्तीसगढ़ राज्य की नयी औद्योगिक नीति के माध्यम से नॉन कोर सेक्टर को सपोर्ट करने, इकॉनामिक रिवाइवल, एमएसएमई को दी जा रही मदद की सराहना की। राष्ट्रीय उपाध्यक्ष देवाशीष मित्रा, सेंट्रल काउंसिल सदस्य केमिशा सोनी एवं चरणजोत सिंह, बिलासपुर शाखा के अध्यक्ष दिनेश कुमार अग्रवाल एवं रायपुर शाखा के सचिव रवि ग्वालानी ने अपने उद्बोधन में छत्तीसगढ़ राज्य के समग्र विकास के लिए मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में किए जा रहे कार्यों की सराहना की। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार की जनहितैषी नीतियों का लाभ समाज के सभी वर्गों एवं संस्थाओं को मिल रहा है। इस तीन दिवसीय सेमिनार के दौरान देश के विख्यात विशेषज्ञों द्वारा चार्टर्ड एकाउंटेंट्स एवं स्टूडेंट को जीएसटी, आयकर, कम्पनी कानून आदि की जानकारी भी दी जाएगी।