रायपुर। कृषि बिल को लेकर किए जा रहे विरोध के बीच मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने एक बार फिर केंद्र सरकार को आड़े हाथ लिया है. उन्होंने कहा कि काला बाज़ारी और जमाखोरी को बढ़ावा देने वाला कानून है. इससे सबसे ज़्यादा नुकसान उपभोक्ता को होगा. आपके किचन का बजट बिगड़ने वाला है.
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने संसद से पारित कृषि बिल का विरोध करते हुए कहा कि जिस तरह से फसल बीमा का फायदा किसानों से ज़्यादा कंपनियों को हुआ, उसी तरह से उसी तरह कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग का हश्र होगा. शांता कुमार कमेटी के मुताबिक केवल 6 % किसान ही एमएसपी (MSP) में बेच पाते हैं. इसमें ब्लैक मार्केटिंग की बात गलत है. अगर एफसीआई व्यवस्था असफल सिद्ध हुई है, तो इसका मतलब है एफसीआई को बंद करना चाहते हैं. निजी क्षेत्र की व्यवस्था बढ़ाई जानी चाहिए. वहीं एमएसपी बन्द हो सकता है.
भूपेश बघेल ने कहा कि गरीबो को चावल मिल रहा है, उसे बन्द करना चाहिए. यह शांता कुमार कमेटी कह रही है. केवल 40 प्रतिशत लोगों खाद्यान दिया जाए. शांता कुमार की अनुशंसा गरीब किसान विरोधी है. मैं भाजपा के रमन सिंह से सवाल करना चाहता हूँ ? क्या आपने नहीं कहा था कि स्वामीनाथन कमेटी की रिपोर्ट लागू करेंगे. 4 वर्षों में 15-20 प्रतिशत किसानी की बढ़ोत्तरी हुई,लेकिन आय दोगुना कब करेंगे. आप इसके पक्ष में है या नहीं. बोनस के पक्ष में हैं या विरोध में? क्या ये विधेयक बैक डोर एंट्री नहीं है.
उन्होंने कहा कि एक राष्ट्र – एक बाजार, वन नेशन, वन टैक्स और अब कह रहे है एक राष्ट्र एक बाजार. मैं कहता हूं एक एक शब्द और जोड़ दीजिये. एक दाम. मंडी के बाहर एमएसपी से कम दर पर न बिके. अगर बिके तो दंडात्मक करवाई होगी. राष्ट्रपति से मांग करते हैं कि हस्ताक्षर न करें. वहीं भाजपा से मांग करते हैं काला कानून वापस ले. यूपीए ने जिस तरह से एमएसपी बढ़ाई, वैसा ही बढ़ोतरी की जाए. उन्होंने बिल को असंवैधानिक बताते हुए इसे संविधान के साथ छेड़छाड़ और राज्यो के साथ धोखा करार दिया है.
भूपेश बघेल ने कहा कि हवाई अड्डा, रेलवे स्टेशन बेच दिया, अब निगाह किसानों की ज़मीन पर है. अगले विधानसभा में प्रस्ताव लाएंगे. ज़रूरत हुई तो कोर्ट में जाएंगे. कांट्रेक्ट फार्मिंग का अध्धयन किया जाना चाहिए. फल- सब्ज़ियों में फायदेमंद हो सकता है, लेकिन अनाज में नहीं. कृषि के बारे में तय करने अधिकार विधानसभा को है, लोकसभा को नहीं। ये अधिकारों का उल्लंघन है. कल ये कृषि पर टैक्स भी लगा सकते हैं. एक राष्ट्र एक बाजार और एमएसपी से नीचे नहीं बेच सकते ये कर दे तो कौन किसान इसका विरोध करेगा. पूरा खरीद ले धन्यवाद दे देंगे. अभी खरीदी कर लें. केवल सूचना आनी है. ये कब तक एमएसपी और एफसीआई रखेंगे ये तय नहीं है.