रायपुर- राज्य सरकार और रेलवे के ज्वाइंट वेंचर के तहत बनाए जाने वाले रेल काॅरिडोर की समीक्षा के दौरान मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने दो टूक पूछा है कि इससे राज्य का क्या हित होगा? राज्य के कितने लोगों को रोजगार मिलेगा? इस प्रोजेक्ट में राज्य के हितों के संरक्षण के लिए क्या योजना बनाई गई है? इससे पर्यावरण को होने वाली क्षति का क्या आंकलन किया गया? जनजीवन पर इसके क्या प्रभाव पड़ेंगे? मुख्यमंत्री ने प्रोजेक्ट से जुड़े अधिकारियों को निर्देश देते हुए कहा है कि 15 दिनों के भीतर इसकी विस्तृत जानकारी दी जाए. कयास लगाए जा रहे हैं कि इसके बाद रेल काॅरिडोर को लेकर सरकार बड़ा फैसला ले सकती है.
बता दें कि रेल काॅरिडोर का काम पिछली सरकार के दौरान शुरू हुआ था. देश में पहली बार किसी राज्य सरकार ने रेलवे के साथ ज्वाइंट वेंचर कंपनी बनाकर रेल काॅरिडोर बनाने की दिशा में कदम आगे बढ़ाए थे. ईस्ट-वेस्ट रेलवे लिमिटेड छत्तीसगढ़ छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा बनाया गया संयुक्त उपक्रम एसपीवी(स्पेशल परपस व्हीकल) कंपनी है, जिसमें छत्तीसगढ़ राज्य औद्योगिक विकास निगम, एसईसीएल और इरकान इंटरनेशनल लिमिटेड हिस्सेदार है. इस काॅरिडोर की मदद से कोरबा से कुसमुंडा और गेवरा में शुरू होने वाले कोयला खदानों से निकलने वाले कोयले का परिवहन किया जाना मुख्य उद्देश्य रहा है. एक अनुमान के मुताबिक इन दोनों खदानों के प्रारंभ होने से कोरबा में कोयले का उत्पादन एक सौ मिलियन टन से बढ़कर 160 मिलियन टन हो जाएगा. हालांकि इधर सरकार यह भी कहती रही है कि इस रेल रूट का उपयोग पैसेंजर्स ट्रेनों के परिचालन के लिए भी किया जाएगा.
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने अपनी समीक्षा के दौरान ये पूछा कि काॅरिडोर बनाने के लिए पर्यावरण को किस हद तक नुकसान पहुंच सकता है? कितने पेड़ों की कटाई प्रस्तावित है? सूत्र बताते हैं कि मुख्यमंत्री के यह पूछे जाने पर अधिकारियों ने राज्य सरकार को बेहतर रायल्टी मिलने की बात कही, इस पर उन्होने तल्ख भरे अंदाज में कहा कि पहले विस्तृत अध्ययन करें और फिर रिपोर्ट पेश किया जाए.