रायपुर- खबर आ रही है कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने डीजीपी डी एम अवस्थी से बहुचर्चित नान घोटाले की फाइल तलब की है. बताया जा रहा है कि इस घोटाले को लेकर मुख्यमंत्री और डीजीपी के बीच अहम चर्चा होगी. ईओडब्ल्यू और एसीबी की जिम्मेदारी भी डीजीपी अवस्थी के पास है, लिहाजा पूरे मामले की जांच की निगरानी वह खुद करेंगे.

गौरतलब है कि विपक्ष में रहने के दौरान कांग्रेस नान घोटाले का मुद्दा लगातार उठाती रही है. कांग्रेस अपने आरोप में यह कहती रही है कि घोटाले में पूर्व मुख्यमंत्री डाॅ.रमन सिंह और उनके परिजनों पर भी गड़बड़ी के आरोप हैं. एंटी करप्शन ब्यूरो और ईओडब्ल्यू इस मामले की जांच साल 2015 से ही कर रहा है. इस मामले में कुल 27 लोगों को अभियुक्त बनाया गया था. 17 लोगों की गिरफ्तारियां हुई थी. नान में चेयरमेन रहे डा.आलोक शुक्ला और प्रबंध निदेशक रहे अनिल टुटेजा के खिलाफ बीते 5 दिसबंर 2018 को ईओडबल्यू ने कोर्ट में सप्लीमेंट्री चार्जशीट दाखिल किया था. दोनों ही अधिकारियों ने निचली अदालत में अग्रिम जमानत के लिए अर्जी दाखिल की थी, लेकिन अदालत ने इसे खारिज कर दिया था.

सत्ता में कांग्रेस सरकार के काबिज होने के बाद मामले में अभियुक्त बनाए गए आईएएस अनिल टूटेजा ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को पत्र लिखकर निष्पक्ष जांच किए जाने की मांग की थी. मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में टूटेजा ने कहा था कि एसीबी के अधिकारियों को दो साल पहले ही नान मामले से संबंधित दस्तावेज उपलब्ध करा दिए गए थे, ऐसे में चुनावों से ठीक पहले 5 दिसंबर को कोर्ट में चालान पेश करना दिखाता है इस मामले में जाँच एजेंसी पर राजनीतिक दबाव था. टुटेजा ने अपने पत्र में कई अहम जानकारियां भी साझा की थी.

विपक्ष में रहते हुए कांग्रेस ने नान घोटाला मामले को अपना प्रमुख हथियार बनाया था. 17 नवंबर को चुनावी रैली के दौरान कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने कोरिया की एक सभा में आरोप लगाया था कि रमन सरकार के कार्यकाल में पीडीएस में 36 हजार करोड़ रूपए का घोटाला हुआ है. उन्होंने कहा था कि इस घोटाले में एक डायरी भी मिली है, जिसमें इस बात का जिक्र है कि पैसा सीएम मैडम और डाक्टर साहब को दिया गया. मैं यह पूछना चाहता हूं कि ये सीएम मैडम और डाक्टर साहब कौन हैं?