रायपुर। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने 9 अगस्त को विश्व आदिवासी दिवस पर प्रदेशवासियों विशेषकर आदिवासी समाज के लोगों को बधाई और शुभकामनाएं दी हैं. इसके साथ ही प्रदेश की माताओं को हलषष्ठी (हरछठ) की बधाई और शुभकामनाएं दी हैं

मुख्यमंत्री ने कहा है कि छत्तीसगढ़ जनजाति बाहुल्य प्रदेश है. जनजातियों की प्राचीन कला और संस्कृति यहां की अनमोल धरोहर है. छत्तीसगढ़ सरकार आदिवासियों की प्राचीनतम विरासत और संस्कृति को सहेजते हुए उनके विकास और उन्हें मुख्यधारा में लाने के लिए संकल्पित है. हमारी कोशिश है कि प्रकृति के करीब जीवन जीने वाली यहां की 32 प्रतिशत आदिवासी जनता को सभी आवश्यक नागरिक सुविधाएं और आगे बढ़ने के सभी साधन सुलभ हों.

भूपेश बघेल ने कहा कि जनजातियों के विकास और हित को ध्यान में रखते हुए हमारी सरकार ने बीते डेढ़ साल में कई अहम फैसले लिए हैं. लोहंडीगुड़ा में आदिवासियों की 4200 एकड़ जमीन की वापसी, जेलों में बंद आदिवासियों के मामलों की समीक्षा के लिए समिति का गठन, जिला खनिज न्यास के पैसों से आदिवासियों के जीवन स्तर में सुधार का निर्णय, बस्तर और सरगुजा में कर्मचारी चयन बोर्ड की स्थापना और यहां आदिवासी विकास प्राधिकरणों में स्थानीय अध्यक्ष की नियुक्ति से आदिवासी समाज के लिए बेहतर काम करने की कोशिशें जारी हैं.

मुख्यमंत्री ने कहा है कि मुझे खुशी है कि हमने तेजी से आदिवासियों के हितों के लिए निर्णय लिए जिससे उनका जीवन अधिक सरल हो सका है. हमने वन अधिकार पट्टों के माध्यम से हजारों आदिवासियों को जमीन का अधिकार देकर उन्हें आवास, और आजीविका की चिंता से मुक्त करने का प्रयास किया है. हमारी कोशिश है कि आदिवासी समुदाय तक सीधे सरकार की विकास योजनाएं पहुंचे और जल, जंगल और जमीन को लेकर उनकी चिंता दूर हो सकें.

भूपेश बघेल ने कहा कि आदिवासियों की सांस्कृतिक विरासत को नया आयाम देने के लिए हमने अनेक कदम उठाए हैं.  हमने छत्तीसगढ़ में विश्व आदिवासी दिवस पर सामान्य अवकाश घोषित किया है. प्रदेश में पहली बार राष्ट्रीय आदिवासी महोत्सव का आयोजन राजधानी रायपुर में किया गया. इस आयोजन से आदिवासी प्राचीन संस्कृति और कला को विश्वपटल पर नयी पहचान मिली है.

हलषष्ठी की दी शुभकामनाएं, फिजिकल दूरी व मास्क लगाने की अपील

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने प्रदेशवासियों विशेषकर माताओं को हलषष्ठी (हरछठ) की बधाई और शुभकामनाएं दी हैं. उन्होंने कहा कि हलषष्ठी का त्योहार छत्तीसगढ़ में कमरछठ के रूप में जाना जाता है, इस दिन माताएं अपने बच्चों के स्वास्थ्य और लंबी उम्र के लिए व्रत रखकर प्रार्थना करती हैं. गांवों और शहरों में कई जगहों पर बनाई गई सगरी में माताएं इकट्ठा होकर पूजा करती हैं. भूपेश बघेल ने कहा कि कोविड संक्रमण से बचाव और सुरक्षा वर्तमान समय की सबसे बड़ी जरूरत है. उन्होंने पूजा के दौरान भी सोशल और फिजिकल दूरी, मास्क लगाने औेर हाथ धोने जैसे नियमों का पालन करने की अपील की है.

आदिवासी समाज हमारी संस्कृति का अहम हिस्सा- डॉ चरणदास महंत

विधानसभा अध्यक्ष डॉ चरणदास महंत ने विश्व आदिवासी दिवस पर सभी सामाजिक वरिष्ठजनों को सादर प्रणाम करते हुए प्रत्येक को अपनी ओर से शुभकामनाये प्रेषित की है. डॉ महंत ने कहा कि, आदिवासी समाज हमारी संस्कृति का अहम हिस्सा है, आदिवासी प्रकृति पूजक होते है, वे प्रकृति में पाये जाने वाले सभी जीव, जंतु, पर्वत, नदियां, नाले, खेत इन सभी की पूजा करते है, और उनका मानना होता है कि प्रकृति की हर एक वस्‍तु में जीवन होता है. आदिवासियों को उनका हक और सम्मान दिलाने, उनकी समस्याओं के निराकरण करने, भाषा, संस्कृति और इतिहास के संरक्षण के लिए संयुक्त राष्ट्र संघ ने 9 अगस्त 1994 को विश्व आदिवासी दिवस मनाने का निर्णय लिया. तब से दुनिया में विश्व आदिवासी दिवस मनाया जाता है.

डॉ महंत ने कहा कि, छत्तीसगढ़ जनजाति बाहुल्य प्रदेश है, यहां की जनजातीय कला एवं संस्कृति अनमोल है, राज्य की कुल आबादी का लगभग 32 प्रतिशत हिस्सा आदिवासी समाज का है. आदिवासी शब्द दो शब्दों आदि और वासी से मिलकर बना है और इसका मूल अर्थ मूल निवासी होता है. आदिवासी समुदाय का जीवन जल, जंगल, जमीन से जुड़ा है. आदिवासी समाज समय के साथ कदम से कदम मिलाकर चल रहा है. आदिवासी समाज आज हर क्षेत्र शिक्षा, ज्ञान-विज्ञान, कला-संस्कृति में तेजी से तरक्की कर रहा है. देश-प्रदेश के विकास में आदिवासी समाज की भागीदारी पहले से बढ़ी है.