रायपुर. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने छत्तीसगढ़ी लोक संगीत के पुरोधा स्वर्गीय खुमान साव की पुण्यतिथि पर उन्हें नमन किया है. बघेल ने उन्हें याद करते हुए कहा कि साव ने ‘चंदैनी गोंदा‘ के माध्यम से छत्तीसगढ़ी लोक कला को संवारने में अपना पूरा जीवन लगा दिया. लोक कला की सेवा के लिए उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया है. मुख्यमंत्री ने कहा कि कलाकार कभी दुनिया से विदा नहीं लेते बल्कि, अपनी कला के माध्यम से वे हमेशा हमारे दिलों में जीवित रहते हैं.

1929 को जन्मे खुमान साव की बचपन से ही रुचि संगीत में रही. किशोर अवस्था में वे नाचा के युग पुरूष दाऊ मंदराजी के साथ जुड़ गए थे. 70 के दशक में उनकी मुलाकात दाऊ रानचंद्र देशमुख से हुई और यहीं से उन्होंने अपने जीवन की एक नई शुरुआत की. चंदैनी-गोंदा में वे बतौर संगीत निर्देशक काम करने लगे.

छत्तीसगढ़ के संगीत सम्राट कहे जाने वाले खुमान साव ने प्रदेश की लोक कला और संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए चंदैनी गोंदा संस्था की स्थापना की. इसके माध्यम से उन्होंने पांच हजार से अधिक प्रस्तुतियां दीं. इसके साथ ही आम लोगों की बोली में जमीन से जुड़े उनके गीत प्रदेश, देश की सरहदें पार कर सात समुंदर पार तक जा पहुंचे. संगीत के क्षेत्र में उनके विशेष योगदान के लिए भारत सरकार की ओर से उन्हें संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया था. गृहग्राम ठेकुआ में 90 वर्ष की आयु में उन्होंने अंतिम सांस ली.