नितिन नामदेव, रायपुर. पंडित जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में अंतर्राष्ट्रीय नर्सेस दिवस कार्यक्रम आयोजित किया गया. जहां कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सीएम बघेल ने नर्स डे और मदर्स डे की बधाई दी. इस दौरान सीएम भूपेश ने हेल्थ डिपार्मेंट के कार्यों की जमकर सराहना की. साथ ही इस मौके पर सीएम भूपेश ने उनके आंदोलन को लेकर कहा, मैं तो यही कहूंगा कि रिपोर्ट बन गई है. थोड़ा इंतजार करिए. अभी रिपोर्ट आएगी, केबिनेट में प्रस्तुत होगी. उसके बाद फैसला होगा. मैं अकेला फैसला नहीं करूंगा. थोड़ा इंतजार करिए, निश्चित रूप से इंतजार का फल मीठा होता है.

आगे सीएम भूपेश ने कहा, जो कोरोना वैश्विक महामारी आई थी स्वास्थ्य से संबंधित कोई भी कार्यक्रम हो उसमें इसका जिक्र जरूर होती है. उस समय कोई नहीं जानता था कि, कोरोना क्या है. इसके इलाज क्या है. पूरे दुनिया में अफरा-तफरी मचा हुआ था. कुछ लोग ज्यादा डरे हुए थे, कुछ लोग इसकी परवाह जब तक नहीं करते थे जब तक वह हॉस्पिटल नहीं पहुंचाता था और हॉस्पिटल पहुंचने पर साहसी व्यक्ति डरपोक हो जाता था. ऐसे दौर में जितने हमारे डॉक्टर और नर्स है विपरीत परिस्थिति में सेवाएं दी, उसकी कोई तुलना नहीं हो सकती.

आगे सीएम भूपेश ने कहा, जब परिवार के लोग छोड़ देते थे तब मेडिकल स्टाफ डॉक्टर सेवाएं देते थे. एक तरफ अस्पताल में आप मरीजों की सेवा करते थे. वहीं दूसरी तरफ जब ड्यूटी से आप घर लौटते थे, उस समय कुछ मोहल्ले वाले तक बहिष्कृत करते थे. मकान मालिक किराएदार से कहते थे कि मकान खाली करो. मोहल्ले वाले कहते थे कि, ये कोरोना से आए हैं इसको दूरी रखो.

आगे उन्होंने कहा, डॉक्टरों के बारे में कहा जाता है कि, भगवान के बाद किसी का स्थान है तो डॉक्टरों का है. उसी तरह मैं कह सकता हूं माता के बाद किसी का स्थान है तो वह नर्स का है. माता जैसी सेवा हर मरीज की नर्स करती है. डॉक्टर एक बार राउंड लगाकर पर्ची पर लिखकर चल देता है, लेकिन दिन भर नर्स उसको फॉलो करती हैं. आज आप लगातार छत्तीसगढ़ में सेवाएं दे रहे हैं, पहले और अब में बड़ा अंतर आया है. स्वास्थ्य सेवाओं में जितना डॉक्टरों की भर्ती और नर्स स्टाफ की भर्ती हमारे कार्यकाल में हुआ इसके पहले कभी नहीं हुआ था. अभी और भर्ती निकली है. स्वास्थ्य के क्षेत्र में जहां डॉक्टरों की कमी है उसे पूर्ति करेंगे. स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच बाजारों और मोहल्लों तक पहुंच गई है. ग्रामीण क्षेत्र में हाट बाजार योजना शहर में शहरी स्वास्थ्य योजना इसके अलावा और कई योजनाएं हैं. अभी तक 82 लाख से ज्यादा लोग इसका लाभ ले चुके हैं. पहले यह था कि, आंख में ड्रॉप डालो तो आंख चली जाती थी. नसबंदी करो तो जान चली जाती थी. दवाओं पर विश्वास खत्म हो गया था, लेकिन अब इसमें अंतर आया है. कोरोना काल में हमारी दवाओं ने लोगों की जान बचाने का काम किया है.