रायपुर. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने एथेनॉल प्लांट के लिए सभी राज्यों को प्रस्ताव भेजने के लिए कहा है. इस पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि हमारा तीन साल पुराना प्रस्ताव है. भेजने वाली बात ही नहीं है. केंद्र के पास पहले से प्रस्ताव है. जब से हमारी सरकार बनी है उसके दूसरे महीने ही प्रस्ताव भेज दिया गया था कि हमें धान से एथेनॉल बनाने की अनुमति दी जाए.
सीएम बघेल ने कहा कि भारत सरकार में बैठे हुए लोगों की समझ में ये अंतर है कि वे चाहते हैं कि पैरा और भूसा से एथेनॉल बनाएं. उसके बाद गन्ना और मक्का से भी बनाए. मक्का और गन्ना का एथेनॉल प्लांट लग रहा है. उन्होंने बताया कि मक्का का कोंडागांव में और गन्ना का कवर्धा में में प्लांट बन रहा है. इसका काम जारी है.
अब तक तय नहीं किया रेट
मुख्यमंत्री ने कहा जो हम लोग मांग कर रहे हैं वो धान से एथेनॉल बनाने की है. भारत सरकार के पास तो चावल पड़ा है. हम केंद्र सरकार को 32 रुपये में नहीं 22 रुपये में धान देने को तैयार हो गए. उसके बाद भी नहीं लिया गया. इसलिए हमने कहा कि हमें धान से एथेनॉल बनाने की अनुमति दी जाए और धान के एथेनॉल का रेट तय होना चाहिए. भारत सरकार ने अभी तक रेट तय नहीं किया है.
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अनुमति मिली तो सबको फायदा
सीएम ने कहा कि आखिर राज्य सरकार जो धान खरीदती है वो केंद्र सरकार की अनुमति से ही खरीदती है. पिछले साल हमने जितना धान खरीदने की मांग की थी, भारत सरकार ने उतना धान नहीं खरीदा था. आखिर में उस धान को हमें नीलाम करना पड़ा. इसके चलते हमारी सरकार को घाटा हो गया. हमारा कहना है कि आप धान खरीद नहीं रहे तो हमें कम से कम बचे हुए धान से एथेनॉल बनाने की अनुमति ही दे दो. यदि हमें अनुमति देते हैं तो पहले एफसीआई (FCI) यानी केंद्र सरकार को फायदा मिलेगा. दूसरा राज्य सरकार को राहत होगी और तीसरी सबसे बड़ी बात ये है कि हमारे अन्नदाताओं को फायदा मिलेगा.
ज्यादा खर्च से बचेंगे
सीएम ने बताया कि अभी हम धान को सोसायटी लाते हैं. खरीदी के बाद उन्हें संग्रहण केंद्र में रखते हैं. संग्रहण केंद्र से धान राइस मिल जाता है जहां मिलिंग होती है. इन सब प्रक्रिया में कितना खर्च होता है. यदि एथेनॉल प्लांट खोल दिया जाए तो किसान सीधे प्लांट के पास ही धान बेचेंगे. वहीं धान खरीदने की व्यवस्था कर दी जाएगी. इससे ज्यादा खर्च नहीं होगा.
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