रायपुर- विधानसभा में बजट पर सामान्य चर्चा के दौरान आज सीएम भूपेश बघेल ने पूर्ववर्ती रमन सरकार और उस सरकार में पावरफुल रहे कुछ खास ब्यूरोक्रेट्स पर जमकर निशाना साधा. हालांकि विधानसभा में सीएम ने इन तीनों का नाम नहीं लिया,लेकिन इशारों में साफ कर दिया कि वे किन नौकरशाहों के बारे में बात कर रहें हैं.सीएम ने कहा कि पिछली सरकार ने चंद मुट्ठी भर अधिकारियों को सीमा से बाहर अधिकार दे दिया था. हम उसे कंट्रोल करने की कोशिश कर रहे हैं.

सीएम ने कहा नान घोटाले मामले को लेकर हमने एसआईटी का गठन किया है. डायरी में जिन-जिन लोगों का नाम लिखा है, उनमें से हर किसी से पूछताछ होगी. हम आधी अधूरी कार्रवाई नहीं करेंगे, हम जांच के बाद पूरी कार्रवाई करेंगे. हम वहीं कर रहे है जो पिछली सरकार ने शुरू किया था. हम जांच को आगे बढ़ा रहे हैं. नान घोटाले में यदि सही जांच कराई जाती तो हमे अतिरिक्त जांच कराने की जरूरत नहीं पड़ती. इस घोटाले में अधिकारियों के, मंत्रियों के फोन टेप हो रहे थे. इसलिए ही हमने अधिकारी को सस्पेंड किया है. बिना अनुमति के फोन टेप कर रहे थे. उस वक़्त मैं जब सदन में 40 मिनट तक उस अधिकारी के खिलाफ बातें कह रहा था तो उस वक़्त के कई मंत्रियों ने कहा था भाषण जल्द खत्म क्यों कर दिया.

सीएम ने कहा कि अंतागढ़ मामले में 4 साल बीत जाने के बाद भी पिछली सरकार ने कोई कार्रवाई नहीं की थी. हमने सिर्फ शिकायतों को एक जगह किया है. अब जब कार्रवाई कर रहे हैं तो दिक्कत क्यों हो रही है. चुनावी साल में जनसंपर्क विभाग में 260 करोड़ का बजट रखा गया लेकिन खर्च कर दिया साढ़े चार सौ करोड़. इसकी भी जांच का जिम्मा हमने ईओडब्ल्यू को दिया है. जिस दिन आचार संहिता लगी उस दिन भी विभागीय मंत्री फाइलों पर दस्तखत कर रहे थे. ये छत्तीसगढ़ का पैसा है. इसका दुरपयोग नहीं होने देंगे. बाहर की एजेंसियों को करोड़ो रुपये का बंदरबांट किया गया. अब इसकी जांच करा रहे है तो बदलापुर कहते हैं. जितना कहना है कहे, हम जांच कराएंगे.

मुख्यमंत्री ने कहा- हमसे विपक्ष पूछ रहा है कि पैसा कहां से आएगा, लेकिन पिछली सरकार में आपने उद्योगपतियों की स्टाम्प ड्यूटी में 1600 करोड़ रुपये छूट दिया, 1400 करोड़ रुपये मोबाइल बांटने में दिया.हम जब किसानों को दे रहे, तो आपको तकलीफ क्योँ हो रही.
नरवा, गरुवा, घुरवा, बाड़ी योजना का जिक्र करते हुए भूपेश बघेल ने कहा कि – हमने किसानों के लिए वही किया, जो उनसे कहा.आप उनकी भाषा नहीं समझ पाए और न वो आपको. जो मवेशी किसानों के आर्थिक स्थिति में मददगार थे, वो अब उनके लिए परेशानी का कारण बन गए.यदि गांवों में आज सारी सुविधाएं जुटा दी जाएंगी तो गांव का आदमी शहर नहीं आएगा. कहीं न कहीं से इसकी शुरूआत करनी होगी. केवल *केवल बिल्डिंग बनाकर विकास नहीं होता. आपके विकास का पैमाना कंक्रीट और सीमेंट है लेकिन हमारे विकास का पैमाना किसान है, गांव है, आदिवासी है. सीएम ने कहा कि किसानों की क्रय शक्ति बढाने का काम हम कर रहे हैं.आप तो स्मार्ट शहर बना नहीं पाए हम गांव-गांव में स्मार्ट घुरवा बना रहे हैं. मवेशी को बिठा के खिलाइए. नस्ल सुधार की दिशा में काम करेंगे तो गांवों में दूध की नदियां बहेंगी. सारी व्यवस्था बजट से ही होगी. यदि ये सोच हमारे मन मे आई है किसान इसे हाथों हाथ ले रहे है. ये योजना देश के लिए एक मॉडल बनेगा. इससे लोगों को रोजगार भी मिलेगा, गोबर गैस भी मिलेगा. आज शहर मवेशी घूमने से परेशान है. इससे स्थिति बेहतर होगी. इस योजना में सबकी भागीदारी की जरूरत है. आज पानी के लिए सब परेशान हैं लेकिन वाटर रिचार्जिंग की दिशा में कोई नही बढ़ रहा है.