आज जब गांधी की जय जयकार हो रहा है तो गोडसे मुर्दाबाद के नारे लगने चाहिए. गांधी को अपनाना है तो साफ मन से. खुले दिल से. उनकी साफगोई को. उनके सत्य मार्ग को. जो लोग दिखावे के लिए गांधी का नाम ले रहे है लेकिन गोडसे की भत्सर्ना नहीं कर पा रहे हैं उनका खुलकर विरोध करे. 

रायपुर। महात्मा गांधी की 150 वीं जयंती पर छत्तीसगढ़ विधानसभा का दो दिवसीय विशेष सत्र का बुधवार से आयोजित किया गया. सदन को संबोधित करते हुए सीएम भूपेश बघेल ने कहा कि देश मे अकेले छत्तीसगढ़ विधानसभा है, जहां दो दिवसीय विशेष सत्र गांधी जी की जयंती के मौके पर आयोजित किया जा रहा है. गांधी जी एक व्यक्ति ही नहीं बल्कि एक जीवनशैली, एक विचारधारा है. जब हम गांधी को याद करते हैं तो उस परंपरा को भी मानते हैं जिनके आधार पर उन्होंने लड़ाई लड़ी. गांधी के विरोधी भी उनके गुणों को आत्मसात करते रहे हैं.

सीएम भूपेश ने श्रीमद्भगवद्गीता का जिक्र करते हुए कहा कि गीता में अद्भुत लिखा है कि जब-जब अत्याचार होता है तो कोई न कोई महापुरुष पैदा होता है. जितने भी महापुरुष ने जन्म लिया, उनके विचारों में अंतर दिखाई देता है. जब देश मे हिंसा फैली हुई थी तब महात्मा बुद्ध इस जमीन पर आए. उन्होंने हिंसा के त्याग, संयम का संदेश दिया. उनके बाद भगवान शंकर आते हैं, उन्होंने शून्यवाद का उपदेश दिया. निराकार ब्रम्ह का संदेश दिया. जब लोगों ने देखा कि वह भाव नहीं हो पा रहा, लोग जुड़ नहीं पा रहे तब रामानुज जैसे सन्त आते है.

बघेल ने कहा कि जब इस्लाम का आतंक होता है तब कबीर और गुरुनानक जैसे सन्त आते हैं. एक धारा तब भी चल रही थी जिसका नेतृत्व तुलसीदास, मीरा, सूरदास कर रहे थे. 19 वीं सदी के पहले के आंदोलन धर्म के थे. लेकिन 20 वीं सदी के आने तक धर्म को राजनीतिक कसौटी पर देखा जाने लगा. तब अंग्रेज आ गए थे. जब राजा राममोहन आये तब वह धर्म सुधारक नहीं थे, वह समाज सुधारक थे. धर्म की लड़ाई के समय रामकृष्ण परमहंस आये, उन्होंने कहा सभी धर्म एक है और हर धर्म एक ही जगह पहुँचता है. राजनीतिक राष्ट्रवाद का प्रतिनिधित्व किसी ने किया तो वह महात्मा गांधी ने किया.

पशुबल के सामने महात्मा गांधी ने आत्मबल को खड़ा किया. अंग्रेजों की तोप और बंदूक के आगे अहिंसा को खड़ा किया. आखिर गांधी ने अहिंसा को ही क्यों खड़ा किया? दुनिया हंसती थी. लेकिन अहिंसा की बात बुद्ध, महावीर ने कहीं थीज़ लेकिन गांधी ने इसका व्यापक प्रयोग किया. गांधी कहते थे हिंसा तो पशु करते हैं. उसमें भी क्रोध है. घृणा है. लेकिन मनुष्य के पास मस्तिष्क है. क्रोध के आवेग को रोकने का काम मनुष्य कर सकता है. गांधी जी अपने विरोधियों और आलोचलों के प्रति सहानुभूति रखते थे. अहिंसा की बात वेदों, उपनिषदों और महावीर से चले आ रहा है. लेकिन उसे अंगीकार कर सावर्जनिक जीवन मे उतारने का काम गांधी ने किया. इसलिए ही बुद्ध के बाद अहिंसा के लिए महात्मा गांधी को याद किया जाता है.

सीएम ने कहा कि एक बार ट्रेन के फर्स्ट क्लास में देश के नेतृत्व और कांग्रेस के नेतृत्व को लेकर सवाल उठा तो तिलक ने कहा, इसका नेतृत्व थर्ड क्लास में बैठा व्यक्ति करेगा. महात्मा गांधी ने हर वर्ग को लगता था कि गांधी उनसे जुड़ा हुआ है. गांधी का राष्ट्रवाद सांस्कृतिक राष्ट्रवाद रहा है. लेकिन कुछ लोग जिस राष्ट्रवाद की बात करते हैं वो कौन सा राष्ट्रवाद है. इस राष्ट्रवाद में संविधान अर्थहीन होता जा रहा है. समाज खोखला होता जा रहा है. इस राष्ट्रवाद से राष्ट्र कुचला जा रहा है. गांधी की उपेक्षा करना चाहते हैं. गांधी को बदनाम करना चाहते हैं. लेकिन 150 साल भी आज गांधी प्रासंगिक है. गांधी के ग्राम स्वराज के बताए रास्ते पर छत्तीसगढ़ सरकार चल रही है. किसानों को ऋणमुक्त बनाने का काम हमने किया. हमने नारा दिया कि छत्तीसगढ़ के चार चिन्हारी, नरवा, गरवा, घुरवा, बॉडी.
जिसकी आज देश मे चर्चा चल रही है.

उन्होंने कहा, दो विचारधारा चली आ रही है. आज गांधी को याद करते है तो गोडसे का जिक्र होता है. लोग कहते है कि पाकिस्तान के विभाजन से नाराज होकर उनकी हत्या की गई. लेकिन इतिहास बताता है कि उससे पहले भी हत्या की कोशिश की गई थी. आज जब गांधी की जय जयकार हो रहा है तो गोडसे मुर्दाबाद के नारे लगने चाहिए. गांधी को अपनाना है तो साफ मन से. खुले दिल से. उनकी साफगोई को. उनके सत्य मार्ग को. जो लोग दिखावे के लिए गांधी का नाम ले रहे है लेकिन गोडसे की भत्सर्ना नहीं कर पा रहे हैं उनका खुलकर विरोध करे.