असम चुनाव में बदरूद्दीन अजमल की पार्टी एआईयूडीएफ से कांग्रेस के गठबंधन पर उठाए जा रहे बीजेपी के सवालों पर छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने पलटवार किया है. उन्होंने कहा कि स्थानीय चुनाव में जब बीजेपी एआईयूडीएफ से समझौता करती है, तब उन्हें ऐतराज नहीं होता. आज अलग होने के बाद उन्हें तकलीफ हो रही है. ये लोग अपनी सुविधा के हिसाब से फैसला लेते हैं. यह गलत बात है. बीजेपी बताए कि आखिर स्थानीय चुनाव में अजमल के साथ समझौता क्यों किया? भूपेश बघेल ने कहा कि सीएए का विरोध करने वाले राजनीतिक दलों का एलायंस असम में चुनाव लड़ रहा है. उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में ही असम में शांति स्थापित हुई थी. हम फिर से सरकार बनाने जा रहे हैं और इस बार यहां गुजरात माॅडल नहीं, बल्कि छत्तीसगढ़ माॅडल” से सरकार बनेगी. News 24 से बातचीत करते हुए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने सिलसिलेवार सवालों के जवाब दिए-
रिपोर्टर- असम चुनाव के लिए पार्टी ने सीनियर आब्जर्वर बनाकर आपको बड़ी जिम्मेदारी दी है. असम कांग्रेस पार्टी का गढ़ रहा है, जहां 15 सालों तक कांग्रेस की सरकार थी, लेकिन बीते चुनाव में बीजेपी ने इस गढ़ को तोड़कर सत्ता हासिल की. छत्तीसगढ़ में भी 15 साल की बीजेपी सरकार के किले को ढहाकर आपने सरकार बनाई थी. क्या इसलिए ही पार्टी ने आपको असम जिताने की जिम्मेदारी सौंपी है?
भूपेश बघेल- देखिए यह अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी का निर्णय़ होता है कि किसे कहां भेजा जाए. पांच राज्यों में चुनाव हो रहे हैं, अलग-अलग नेताओं को आब्जर्वर बनाकर भेजा गया है, मुझे और मुकुल वासनिक को यहां की जिम्मेदारी सौंपी गई है.
रिपोर्टर- ऐसा सिर्फ बीजेपी में सुना करते थे कि अमित शाह पन्ना प्रमुखों की बैठक लेकर बूथों को मजबूत करने की रणनीति पर काम किया करते हैं. बूथ मैनेजमेंट को लेकर आपने खूब काम किया है.
भूपेश बघेल- छत्तीसगढ़ में हमने बूथ स्तर पर काम किया था. इसका असर था कि 90 में से 68 सीटें जीती थी. तीन चौथाई बहुमत से छत्तीसगढ़ में हम जीते थे. यही फार्मूला हम असम लेकर आए हैं. इस फार्मूले को यहां के प्रदेश अध्यक्ष, नेता प्रतिपक्ष ने स्वीकार किया है. असम की 127 विधानसभा सीटों में से 126 सीटों पर संकल्प शिविर पूरे हो चुके हैं. शिविर में सैकड़ों की तादात में बूथ स्तर के कार्यकर्ता आते थे. इसका जबरदस्त सकारात्मक असर हुआ है. आज हम यहां सरकार बनाने की स्थिति में हैं.
रिपोर्टर- आपके पास मुख्यमंत्री का चेहरा नहीं है.
भूपेश बघेल- बहुत सारे राज्यों में होने वाले चुनावों में मुख्यमंत्री पद का चेहरा बीजेपी के पास भी नहीं होता. कांग्रेस ने भी शुरू से यही कहा है कि जिन राज्यों में सरकार नहीं है, वहां चुनाव जीतकर आने के बाद पार्टी आलाकमान और विधायक दल मिलकर तय करते हैं कि मुख्यमंत्री कौन होगा? हमारे छत्तीसगढ़ में भी यही हुआ था. हम सामूहिक नेतृत्व में चुनाव लड़ते हैं.
रिपोर्टर- तरूण गोगोई की कमी महसूस होती है. उनके चलते 15 सालों तक असम में कांग्रेस की सरकार रही. उनकी गैर मौजूदगी में असम में कांग्रेस पहली बार चुनाव लड़ रही है.
भूपेश बघेल- निश्चित तौर पर तरूर गोगोई की कमी खल रही है. वह हमारे बहुत बड़े नेता थे. असम में शांति स्थापना उनके कार्यकाल में हुई. विकास के ढेरों काम हुए. उनकी कमी तो है, लेकिन समय रूकता नहीं है. समय चलता रहता है. वर्तमान पीढ़ी ने इसे चुनौती के रूप में स्वीकार किया है. मैं समझता हूं कि असम के नतीजे जबरदस्त आएंगे.
रिपोर्टर- डिब्रुगढ़ के इलाके में छत्तीसगढ़ के मजदूर रहते हैं. पिछले चुनाव में बीजेपी की सरकार बनाने में इनकी भूमिका महत्वपूर्ण रही थी.
भूपेश बघेल- चाय बागानों के मजदूर पिछले चुनाव में हमसे नाराज थे. इनके वोट से एकतरफा बीजेपी की जीत हुई है. लेकिन अब हालात बदले हैं. बीजेपी के वादे खोखले साबित हुए हैं. कांग्रेस जैसी स्थिति में थी, ठीक वैसी ही स्थिति में आ गई है.
रिपोर्टर- असम चुनाव को लेकर आपने पांच गारंटी दी है.
भूपेश बघेल- हां, हम वादा नहीं, गारंटी दे रहे हैं. सरकार बनने पर चाय बागान के श्रमिकों को 365 रूपए मजदूरी देंगे, सीएए लागू नहीं होगा, गृहिणियों को दो हजार रूपए सम्मान निधि दी जाएगी, 200 यूनिट तक बिजली बिल माफ होगा, पांच लाख लोगों को सरकारी नौकरी दी जाएगी.
रिपोर्टर- आपको लगता है कि जो गारंटी दी जा रही है, जनता का भरोसा इस पर होगा.
भूपेश बघेल- बिल्कुल भरोसा है. छत्तीसगढ़ में कर्जमाफी, 2500 रूपए समर्थन मूल्य पर धान खरीदी का जो वादा किसानों से किया था, उसे हमने पूरा किया. बाद में केंद्र ने अड़ंगा लगाया तो हमने राजीव गांधी न्याय योजना शुरू की. इस साल 92 लाख मीट्रिक टन धान खरीदा. किसान, मजदूरों के साथ जो वादे हमने किए थे, वह पूरा किया. जो छत्तीसगढ़ में हो सकता है, वह असम में हो सकता है.
रिपोर्टर- बीजेपी हर जनसभा में कह रही है कि बदरूद्दीन अजमल के साथ कांग्रेस ने एलायंस किया. कम्युुनल तरीके से जनता को यह एहसास दिलाने की कोशिश बीजेपी कर रही है कि अजमल सांप्रदायिक है. कांग्रेस ने उनसे समझौता करके सच्चाई उजागर कर दी.
भूपेश बघेल- यह हास्यास्पद बात है. मोदी हो या शाह सीएए को लेकर बात नहीं करते हैं. सीएए का विरोध करने वाली सभी पार्टियां एक साथ है. ये सभी सीएए के खिलाफ लामबंद हुए हैं. बदरूद्दीन अजमल के साथ जिला पंचायत के चुनाव में बीजेपी समझौता करती है. तब उन्हें एतराज नहीं था. आज जब वह अलग हो गए, तब उन्हें तकलीफ होने लगी. अपनी सुविधा के हिसाब से फैसला लेते हैं, यह गलत बात है. स्थानीय चुनाव में बीजेपी ने आखिर अजमल के साथ समझौता क्यों किया? असम में हजारों की तादात में लोग आ रहे हैं. परिवर्तन की चाहत लोगों में दिखाई दे रही है.
रिपोर्टर- छत्तीसगढ़ चुनाव के पहले जो वादे किए गए थे, उन वादों की याद असम में दिलाई जा रही है. कई मांगें पूरी की गई थी. छत्तीसगढ़ में जो कुछ भी आपने किया, क्या उससे असम में रिलेट करना चाहते हैं.
भूपेश बघेल- राहुल गांधी ने वादा किया था कर्जमाफी करेंगे, समर्थन मूल्य में धान खरीदी करेंगे, चार हजार रूपए की दर पर तेंदूपत्ता की खरीदी की जाएगी, चार सौ यूनिट तक बिजली बिल आधा करेंगे. यह सारे वादे हमने पूरे किए. कर्जमाफी दो घंटों के भीतर कर दिया था. 2500 रूपए समर्थन मूल्य पर खरीदी शुरू कर दी थी. बिजली बिल माफ कर दिया था. असम की जनता को हम यह बता रहे हैं. असम में छत्तीसगढ़ माॅडल को अपनाया जाएगा यहां गुजरात माॅडल नहीं चलेगा.
रिपोर्टर- टक्कर में कांग्रेस दिख रही है. अगर सरकार बनती है, तो भूपेश बघेल का कद बढ़ेगा.
भूपेश बघेल- मैं मानता हूं कि यह जीत कांग्रेस के कार्यकर्ताओं की जीत होगी. असम की जनता की जीत होगी. हमारे नेतृत्व की जीत होगी. सोनेवाल की सरकार से लोग उब चुके हैं. यहां की जनता ठगा हुआ महसूस कर रही है. डबल पाॅवर सेंटर से असम की जनता नाखुश है, जो वादे किए थे, उसे पूरा नहीं किया. घर की अर्थव्यवस्था चौपट हुई है. महंगाई लगातार बढ़ी है, इससे जनता परेशान है. कांग्रेस जो कहती है, वह करती है, जो पांच गारंटी कांग्रेस ने किया है, उसे पूरा किया जाएगा.
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