झारखंड में मची सियासी भूचाल से छत्तीसगढ़ में हलचल शुरू हो गई है. सरकार को इस संकट से बचाने के लिए झारखंड के विधायक मंगलवार को रायपुर पहुंचे. इस पूरे घटनाक्रम को लेकर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भाजपा पर हॉर्स ट्रेडिंग का आरोप लगाया है. उन्होंने कहा कि भाजपा की खरीद-फरोख्त की राजनीति से बचाने के लिए विधायकों को यहां लाया गया है.

सीएम बघेल ने कहा कि राज्यपाल ने अभी तक चुनाव आयोग की चिट्ठी नहीं खोली है. यानी कुछ योजना बनाई जा रही है. झारखंड के विधायक यहां आए हैं इसलिए भाजपा चिंतित है. अगर झारखंड में विधायकों को मुक्त कर दिया जाता तो भाजपा को उन्हें खरीदने और उन्हें 20 करोड़ रुपये देने का मौका मिलता.

नेताओं से मिलने पहुंचे थे सीएम भूपेश

बता दें कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल झारखंड के मंत्री-विधायकों के यहां आने के बाद उनसे मिलने मेफेयर रिसॉर्ट पहुंचे थे. वहां उन्होंने झारखंड सरकार पर संकट को लेकर चर्चा की. इनके खातिरदारी की जिम्मेदारी प्रदेश कांग्रेस के कोषाध्यक्ष रामगोपाल अग्रवाल, छत्तीसगढ़ राज्य खनिज विकास निगम के अध्यक्ष गिरीश देवांगन और भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार मंडल के अध्यक्ष सुशील सन्नी अग्रवाल को दिया गया है.

कौन-कौन हैं रिसॉर्ट में ?

प्रदेश में झारखंड मुक्ति मोर्चा, कांग्रेस, राष्ट्रीय जनता दल और CPI को मिलाकर महागठबंधन की सरकार चल रही है. जिसमें मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन सहित कुल 11 मंत्री हैं. इनमें कांग्रेस कोटे से चार मंत्री हैं और राष्ट्रीय जनता दल के एकमात्र विधायक को भी मंत्री बनाया गया है. हेमंत सोरेन ने 30 अगस्त को जिन विधायकों को रायपुर भेजा है, उनमें पांच मंत्री हैं.

क्या कहता है झारखंड का सियासी गणित ?

झारखंड विधानसभा में 81 निर्वाचित और एक मनोनीत विधायक, यानी कुल 82 विधायक के लिए जगह है. इनमें से UPA गठबंधन के पास 50 विधायकों का समर्थन है. जिसमें झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के 30, कांग्रेस के 18 और राजग-CPI के एक-एक विधायक हैं. वहीं भाजपा की बात करें तो इनके पास गठबंधन के कुल मिलाकर 30 विधायक हैं. सत्ताधारी महागठबंधन नेताओं का आरोप है कि केंद्र सरकार और भाजपा उनके विधायकों को तोड़ना चाहती है. इसलिए चुनाव आयोग की सिफारिश आने के एक हफ्ते बाद भी राज्यपाल रमेश बैस कोई फैसला नहीं ले रहे हैं. लिहाजा पूरे घटनाक्रम में हॉर्स ट्रेडिंग की आशंका जताई जा रही है.