मंदसौर। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने मालवा क्षेत्र के मंदसौर में गांधी सागर अभयारण्य की भूमि पर प्रभास और पावक चीतों को खुले बाड़े में छोड़ा। चीतों के फर्राटे के साथ मालवा की भूमि के लिए ऐतिहासिक दिवस के रूप मे दर्ज हो गया। देश में पहली बार अंतर्राज्यीय स्तर पर चीतों का पुनर्वास हुआ है। यह दोनों चीते श्योपुर कूनो से मंदसौर के गांधी सागर अभयारण्य पहुंचे। यहां पर्याप्त संख्या में चीतल चिंकारा और छोटे जानवर हैं। दोनों 6 वर्षीय युवा चीते कूनो राष्ट्रीय उद्यान में खुले में ही घूम कर शिकार कर रहे थे। इसलिए इन्हें सीधे खुले बाड़े में छोड़ा गया है।

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि चीता प्रोजेक्ट प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में विश्व में सबसे अधिक सफल मध्यप्रदेश में हुआ है। पुनर्वास के बाद श्योपुर के कूनो में दुनिया में सबसे अधिक चीतों का जन्म हुआ है। मालवा की भूमि पर हम चीतों का स्वागत करते हैं। चीतों के आने से मंदसौर और नीमच जिलों मे पर्यटन की संभावनाओं को पंख लग जायेंगे। राजस्थान और मध्यप्रदेश के सीमावर्ती जिलों में पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा। स्थानीय लोगों को रोजगार के नये अवसर मिलेंगे, उनके जीवन स्तर में भी सुधार होगा। पर्यटकों की संख्या बढ़ने से अर्थव्यवस्था में भी सुधार होगा। वन्य पर्यावरण की दृष्टि से मध्यप्रदेश की धरा पर चीतों का सफलतापूर्वक पुनर्वास किया गया है।

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प्रभास और पावक का कूनो से गांधी सागर अभयारण्य का सफर

श्योपुर के कूनो नेशनल पार्क से गांधीसागर अभयारण्य के लिए दो नर चीते प्रभास और पावक को रविवार की सुबह रवाना किया गया था। सीसीएफ उत्तम कुमार शर्मा और डॉक्टर ओंकार अचल सहित 20 लोगों की टीम चीतों के साथ गांधी सागर अभयारण्य पहुंची। यह टीम गांधी सागर में 7 दिन रुकेगी। इस दौरान वह स्थानीय स्टाफ को चीतों की देख-रेख के गुर सिखाएगी।

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इन चीतों को अलग-अलग वाहनों में लाया गया है, जो श्योपुर, बारां, कोटा और झालावाड़ होते हुए मंदसौर पहुंचे। वाहन और पिंजरे को कूनो नेशनल पार्क में सैनिटाइज किया गया था। गांधी सागर अभयारण्य में 37 किमी का एक बाड़ा बनाया गया है। आपात स्थिति से निपटने के लिए इमरजेंसी सुविधाओं वाला वाहन और मेडिकल टीम भी साथ रही।

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