हेमंत शर्मा, इंदौर। मध्य प्रदेश के सीएम डॉ मोहन यादव ने रविवार को इंदौर के ब्रिलिएंट कन्वेंशन सेंटर में ‘मध्यप्रदेश टेक ग्रो कॉन्क्लेव 2025’ का शुभारंभ किया। कॉन्क्लेव का उद्देश्य प्रदेश में तकनीकी निवेश को बढ़ावा देना और नई संभावनाओं के द्वार खोलना रहा। इसमें देशभर से आए निवेशकों ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई और विभिन्न प्रोजेक्ट्स में रुचि दिखाई। मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने कार्यक्रम में ऑनलाइन माध्यम से कई परियोजनाओं का लोकार्पण और भूमिपूजन किया। सीएम ने इस अवसर पर कहा कि मध्यप्रदेश अब निवेश के नए केंद्र के रूप में उभर रहा है और सरकार निवेशकों को हर संभव सुविधा देने के लिए प्रतिबद्ध है।
उद्योगपतियों ने जताया भरोसा, निवेश-ग्रोथ के लिए दिखाया उत्साह
मध्यप्रदेश में हुए उद्योग कॉन्क्लेव में देशभर से आए दिग्गज उद्योगपतियों ने अपने अनुभव साझा किए और राज्य की स्थिरता, बेहतर नीतियों और सकारात्मक माहौल की जमकर सराहना की। कॉन्क्लेव में बोलते हुए इंपेटस कंपनी के प्रतिनिधि ने कहा कि मैं हिंदी और अंग्रेजी दोनों मिलाकर बोलूंगा ताकि सभी श्रोताओं को समझने में आसानी हो। इंपेटस एक ग्रुप ऑफ कंपनियां है, जो डेटा इंजीनियरिंग, मशीन लर्निंग और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसी डीप टेक्नोलॉजी पर काम करती है। हमारे ग्राहक दुनियाभर में फैले हुए हैं और हम महंगी सेवाएं देने वाले प्रमुख प्रदाता हैं। इंदौर ने हमें वह स्थिरता दी है, जिसने हमें वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनने में मदद की।
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उन्होंने कहा कि ‘मैंने एक वन-मैन ब्रांड से शुरुआत की थी, आज हम 4500 लोगों की टीम हैं। इंदौर जैसा शांत और स्थिर माहौल बड़े मेट्रो शहरों में भी नहीं मिलता। इसी स्थिरता के कारण हमने 350 मिलियन डॉलर का निवेश आकर्षित किया है। सरकार ने हमें नीतिगत समर्थन दिया, जिससे हम तेजी से आगे बढ़ सके। एक उदाहरण देते हुए उन्होंने बताया कि जब एक पुराने एग्रीमेंट के इंटरप्रिटेशन को लेकर समस्या आई थी, तब तत्कालीन मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव समेत सभी अधिकारियों ने मिलकर 5 दिन के भीतर समाधान कर दिया, जो वाकई प्रभावशाली था।’
MP में एक नई लहर- कर्नाटक डिजिटल
इसी मंच से कर्नाटक डिजिटल के संजय गुप्ता ने भी अपने विचार रखे। उन्होंने कहा कि, मध्यप्रदेश में एक नई लहर महसूस हो रही है। राज्य सरकार उद्योगों को ग्राहक की तरह देख रही है, जो एक बहुत बड़ा सकारात्मक बदलाव है। नीति बनाना जितना जरूरी है, उतना ही उसे उद्योगों तक ले जाकर समझाना भी जरूरी है। हमें उद्योगों के पास जाना होगा, उनका विश्वास जीतना होगा। जैसे कर्नाटक में ‘डिजिटल इकोनॉमी मिशन’ बनाया गया, वैसे ही मध्यप्रदेश को भी एक प्रोफेशनल बॉडी बनानी चाहिए, जो सिर्फ उद्योगों की सुविधा और निवेश बढ़ाने के लिए काम करे। इस बॉडी का मुख्य फोकस नया निवेश और रोजगार सृजन होना चाहिए।

उन्होंने आगे कहा कि ‘डिजिटल इकोनॉमी को गति देने के लिए तीन क्षेत्रों पर ध्यान देना जरूरी है। आईटी व आईटीईएस, ग्लोबल कैपेबिलिटी सेंटर्स (GCCs) और स्टार्टअप्स। रिपोर्ट्स के मुताबिक भविष्य में सबसे ज्यादा रोजगार स्टार्टअप्स देंगे, इसलिए इन तीनों क्षेत्रों को जोड़कर एक सशक्त प्लेटफॉर्म बनाना बहुत जरूरी है। स्किल डवलपमेंट को भी इसी के साथ जोड़ना होगा।”
कॉन्क्लेव में श्री विश्वनाथन ने भी दिया जोर
देश में अभी लगभग 1700 ग्लोबल कैपेबिलिटी सेंटर्स हैं और अगले पांच सालों में यह संख्या 3000 के पार जाने वाली है। इनमें से ज्यादातर मिड-मार्केट कंपनियां होंगी, जो तेजी से सेटअप और विस्तार चाहती हैं। मध्यप्रदेश में बेहतरीन टैलेंट, मजबूत इकोसिस्टम और तेज नीतिगत फैसले हैं, जो इस ग्रोथ को सपोर्ट कर सकते हैं। सरकार ने साइबर सिक्योरिटी, ई-गवर्नेंस और डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर पर शानदार काम किया है।”मध्यप्रदेश पहला राज्य था जिसने 1993 में वर्ल्ड बैंक के साथ मिलकर बिजली बिलिंग एप्लीकेशन और लैंड रिकॉर्ड डिजिटाइजेशन जैसी पहल की थी। आज भी इंदौर, देवास और पीथमपुर जैसे शहर मजबूत इंडस्ट्रियल बेस तैयार कर रहे हैं।
कॉन्क्लेव के समापन पर उद्योगपतियों ने एक सुर में कही ये बात
मध्यप्रदेश में नीति से लेकर नीयत तक, हर स्तर पर सकारात्मक बदलाव दिख रहा है। आने वाले समय में मध्यप्रदेश न केवल विकसित भारत के सपने में अहम भूमिका निभाएगा बल्कि वैश्विक निवेश का भी प्रमुख केंद्र बनेगा। इस कार्यक्रम में कैबिनेट मंत्री कैलाश विजयवर्गीय, मंत्री तुलसी सिलावट, मुख्य सचिव सहित प्रदेश के कई वरिष्ठ अधिकारी और बड़ी संख्या में इन्वेस्टर्स शामिल हुए। कैबिनेट मंत्री कैलाश ने भी निवेशकों को भरोसा दिलाते हुए कहा कि प्रदेश की नीतियां उद्योगों के अनुकूल बनाई गई हैं और हर प्रोजेक्ट को तेजी से मूर्त रूप दिया जाएगा।
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वहीं मंत्री तुलसी सिलावट ने इंदौर को प्रदेश का आर्थिक इंजन बताते हुए कहा कि आने वाले समय में यहां तकनीक और उद्योग के क्षेत्र में बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा। मुख्य सचिव सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारियों ने भी निवेशकों को प्रदेश में निवेश के लिए आमंत्रित करते हुए सरकारी प्रयासों की जानकारी दी। कॉन्क्लेव में कई तकनीकी सत्र आयोजित किए गए, जिसमें स्टार्टअप्स, आईटी कंपनियों और उद्योगपतियों ने भाग लिया। नए इन्वेस्टमेंट के अवसरों पर खुलकर चर्चा हुई और एमओयू (समझौता ज्ञापन) साइन करने की भी संभावनाएं जताई गईं।
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