सुधीर दंडोतिया, भोपाल। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव महाराष्ट्र दौरे पर रहें। आज वह ‘पुण्यश्लोक अहिल्याबाई होलकर और उनके जन-कल्याणकारी सुशासन’ विषय पर आयोजित राष्ट्रीय चर्चा में शामिल होने पहुंचे। साथ ही छत्रपति शिवाजी महाराज के विराट जीवन और संघर्षों पर आधारित ऐतिहासिक ‘शिव-सृष्टि’ थीम पार्क का भ्रमण किया।

महारानी अहिल्याबाई जी का 300वां जन्मोत्सव मना रहे 

सीएम डॉ. मोहन यादव ने कहा, “आज मैं महाराष्ट्र के पुणे में आयोजित कार्यक्रम में भाग लेने पहुंचा हूं। मुझे इस बात की प्रसन्नता है कि हम महारानी अहिल्याबाई जी का 300वां जन्मोत्सव मना रहे हैं। मुगलों के काल में अहिल्याबाई जी ने न केवल मंदिरों और देवालयों के जीर्णोद्धार का कार्य किया, बल्कि पूरे देश में धार्मिक सहिष्णुता और सांस्कृतिक समृद्धि का संदेश फैलाया। बनारस से लेकर सोमनाथ और मानसरोवर तक, उनका योगदान अमिट है। पुणे, शिवाजी महाराज की जन्मभूमि और कर्मभूमि भी है। वीर शिवाजी ने स्वाधीनता की जो अलख जगाई, वह अद्वितीय है।”

 सीएम ने ‘शिव-सृष्टि’ थीम पार्क का किया भ्रमण 

सीएम ने आगे कहा, “वीरता व शौर्य की धरा महाराष्ट्र के पुणे में आज ‘हिंदवी स्वराज’ के संस्थापक, राष्ट्र के गौरव छत्रपति शिवाजी महाराज के विराट जीवन और संघर्षों पर आधारित ऐतिहासिक ‘शिव-सृष्टि’ थीम पार्क का भ्रमण किया। यह अद्भुत पार्क शिवाजी महाराज के जीवन के विभिन्न पहलुओं को जीवंतता प्रदान करने वाला है, जिसमें उनके युद्ध कौशल, कूटनीति और प्रशासनिक दक्षता को बेहतर तरीके से दर्शाया गया है। वास्तव में उनकी शासन व्यवस्था, दूरदर्शिता और लोक-कल्याणकारी नीतियां आज भी प्रासंगिक हैं। मां भारती की सेवा में स्वराज और स्वधर्म के लिये समर्पित रहा उनका पूरा जीवन देशवासियों हेतु एक महान प्रेरणा है।”

राष्ट्रीय संगोष्ठी में हुए शामिल  

पुणे में पुण्यश्लोक अहिल्याबाई होल्कर और उनका जनकल्याणकारी सुशासन विषय पर आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी में मुख्यमंत्री डॉ.मोहन यादव शामिल हुए। इस दौरान उन्होंने कहा कि जिनकी बात करने के लिए हम यहां आए हैं। इस पुण्य नगरी पुणे को मैं प्रणाम करता हूं। जिसका गौरवशाली इतिहास है, इसका आनंद ही अलग है। 

सीएम ने आगे कहा, ऐसा लगता है किसी उज्जवल धवल शीतल बहुत विशाल सागर में लहरें आ रही हैं। उस विशाल सागर में लहरों का केंद्र अगर कोई बनता है। मान लो किसी पक्षी ने अपनी डुबकी लगाई या कहीं से प्रवाह करने वाली धारा दिखाई देती है तो पूरे देश का अगर स्मरण करो तो 300 साल की गारंटी ले सकता हूं कि पूना वो स्थान है जो वर्तमान के रूप में कभी शिवाजी के रूप में दिखाई देता है और कभी हमें बाल गंगाधर तिलक के रूप में दिखाई देता है। जिस कारण से पूना का स्पंदन पूरे देश में दिखाई देता है। कई अर्थों में तो सच में पूना, इंदौर और उज्जैन में फर्क ही नहीं दिखाई पड़ता।

उन्होंने कहा, मैं महाराज शिवाजी की उस धारा के अलग-अलग तट के जो कुछ हिस्से निकलते हैं। वह कहां-कहां से दिखाई देते हैं। हम सब सिंधिया वंश का होलकर वंश के मल्हार राव और बाद में हम अपनी लोक माता को स्मरण करेंगे। मैं कभी-कभी यह कल्पना करता हूं कि अगर महात, बाजीराव, होलकर और सिंधिया, इनको छोड़कर अगर नहीं जाते तो क्या वर्तमान का महाकाल मंदिर दिखाई देता..?

उन्होंने आगे कहा, उस दौर में महाकाल मंदिर बनाया जब दिल्ली में मुगल सत्ता थी। यह कोई कल्पना कर सकता है, ध्वस्त करने वाले भी बैठे हैं और उनकी छाती पर बनाने वाले भी बैठे हैं। वो दौर कितना आनंददायी है। आज हम प्रधानमंत्री की कंसिस्टेंसी बनारस में चले तो आज नहीं, उस दौर में जब हमारा अपना देवस्थान ध्वस्त हो गया था। आज भी बाबा विश्वनाथ के धाम में पूजा करने के लिए जाने का मौका मिलता है वो मौका अगर किसी ने दिया तो अहिल्या माता ने ही दिया, उस मंदिर को देवस्थान बनाया तो ये अहिल्या माता की ही देन है।

 उस समय प्रेम का सोना चढ़ाया पंजाब वालों ने, तो हम महाराजा रणजीत सिंह जी को याद करें। अगर मंदिर नहीं होता तो कोई स्वर्ण कैसे चढ़ाता? मैं उसे थोड़ा खोलकर बोलता हूं। आपने कहा कि पर्टिकुलर भील समाज के एक नेता ऐसे खड़े हो गए और जहां तक उनके राज्य की सीमा आती अहिल्याबाई की उसके पहले वह वसूली कर लेते हैं लूट लेते। अब लगातार ये जो झंझट दिखती है तो प्रशासनिक कुशलता से रास्ते कैसे निकालते है। उन्होंने देखा कि यह कौन करता है तो पता चला कि बार-बार यही करता है। उसे बुलाकर और जिनका आपने नाम बताया उसको जोड़कर उसकी सरकार का हिस्सा बना देना यही तो सरकार है।

सीएम ने आग कहा कि केवल इतना ही नहीं, उनके जीवन में भी बदलाव लाने के लिए उनके यहां कुएं, बगीचे और खेती-बाड़ी करने के लिए पूरे समाज को बदलकर अपने से जोड़ लेना, एक मां का सही रूप किसको मिलता है। वास्तव में शासन, ये कुर्सी तो हमेशा कांटों का ताज होती है और उनका जीवन तो कांटों से ही भरा हुआ है। बेटा चला गया, पति चले गए, ससुर चले गए और बाद में उनके परिवार में कोई है ही नहीं।

एक बड़े व्यक्ति जो लगातार अहिल्याबाई होल्कर जी के साथ कदम से कदम मिलाकर चलते थे। एक बार 10 लाख में वही बिक गए और बिकने के आधार पर वह इंदौर से महेश्वर कब्जा करने चले। उनके कदम बड़े उसके पहले ही उनको समझ में आ गई कि अबकी बार मामला खतरे में है तो उन्होंने 10 के बदले 20 लाख पहुंचा दिया और कहा, तुम अपना काम करो और मुझे अपना काम करने दो। यही तो उनकी प्रशासनिक कुशलता है। अपनी व्यवस्थाओं के सूत्र अपने हाथ से नहीं फिसले और उसके बाद भी सेवाव्रत धारी हो।

मध्य प्रदेश में तो हमारे बीच में आपके यहां की बेटी और हमारे यहां की तो बहू है। अहिल्या माता का जो रोल दिखाई दिया। उन्हीं के आसपास रानी दुर्गावती को थोड़े दिन पहले ही देखते थे, रानी अवंती बाई जिन्होंने अपने पराक्रम पुरुषार्थ से वीरांगना होकर रण में ही अपने प्राण त्याग दिए। दुर्गावती जी ने अपने हाथ से खंजर घोपा, झांसी की रानी तो आप सभी को याद है। इन सभी ने मध्य प्रदेश को गौरवान्वित किया। लेकिन ऐसे सभी नक्षत्रों में हमारे बीच सूर्य की भांति चमकने वाली अहिल्याबाई होल्कर का स्थान अलग है। मैं उनका वंदन करता हूं, अभिनंदन करता हूं।

Follow the LALLURAM.COM MP channel on WhatsApp
https://whatsapp.com/channel/0029Va6fzuULSmbeNxuA9j0m