सुधीर दंडोतिया, भोपाल। मध्यप्रदेश के नागरिकों की समस्याओं के निराकरण के लिए सीएम हेल्पलाइन की शुरुआत की गई थी। लेकिन 10 साल पहले जुलाई 2014 में सरकार द्वारा शुरू की गई सीएम हेल्पलाइन 181 की स्थिति बेहद चिंताजनक बनी हुई है। प्रदेश के 55 जिलों के कुल पांच लाख 44 हजार 32 लोगों को लंबे समय से शिकायतों के निराकरण का इंतजार है।

दरअसल, ये वो शिकायतें हैं जो विभिन्न विभाग के अधिकारियों द्वारा सुनवाई नहीं किए जाने पर लोगों द्वारा सीएम हेल्पलाइन पर दर्ज कराई गईं हैं। लेकिन अब यहां-वहां भी उनकी सुनवाई नहीं हो पा रही है। इसी वजह से लंबित शिकायतों का ग्राफ दिन-ब-दिन बढ़ता जा रहा है। मध्य प्रदेश के 55 जिलों में सीएम हेल्पलाइन पर विभिन्न विभागों की कुल तीन लाख 25 हजार 742 शिकायतें लोगों द्वारा दर्ज कराई गईं थी। इनमें से जिम्मेदार अधिकारी मात्र एक लाख 34 हजार 84 शिकायतों (41 प्रतिशत) का ही संतुष्टि पूर्ण निराकरण कर पाए हैं। जबकि एक लाख 90 हजार 878 शिकायतें अब भी लंबित हैं।

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असंतुष्ट होकर फिर से दर्ज कराई शिकायत

प्रदेश के गृह, ऊर्जा, राजस्व, नगरीय प्रशासन सहित अन्य विभागों की लगभग दो लाख 72 हजार 144 शिकायतें तीन महीने यानि 50 दिन से अधिक समय से अटकी हुईं हैं। इनमें कई शिकायतें ऐसी भी हैं, जिनको बिना निराकरण ही अधिकारियों ने अपने स्तर पर बंद कर दिया था, लेकिन शिकायतकर्ता ने असंतुष्ट होकर फिर से दर्ज कराई है।

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कई जिलों में 10-10 हजार से ज्यादा शिकायतें पेंडिंग

मध्य प्रदेश के भोपाल सहित भिंड, ग्वालियर, शिवपुरी और मुरैना ऐसे जिले हैं। यहां पर 10-10 हजार से अधिक शिकायतें 50 दिन से अधिक समय से लंबित हैं, जिनका कोई निराकरण नहीं किया जा सका है। इनमें ग्वालियर में 11 हजार 900, भोपाल में 11 हजार 362, भिंड में 10 हजार 721, शिवपुरी में 14 हजार 365 और मुरैना में 12 हजार 832 शिकायतें लंबित हैं।

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