रायपुर। असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा आज छत्तीसगढ़ दौरे पर रहे. इस दौरान उन्होंने लोरमी में भाजपा कारकर्ताओं को संबोधित किया और कांग्रेस पर निशाना साधा. वहीं देर रात अपने प्रदेश वापस जाने से पहले हिमंता बिस्वा रायपुर एयरपोर्ट पर पत्रकारों से चर्चा करते हुए बड़ा बयान दिया और कांग्रेस को आड़े हाथों लिया.

असम के सीएम हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा कि अकबर, बाबर और औरंगजेब वाले बयान पर कहा कि इनके खिलाफ में हमें होना ही पड़ेगा. पूरे देश में इसके मायने होते हैं. उनलोग आक्रांता ते हमारे देश में धार्मांतरण कराया आज भी छत्तीसगढ़ में धार्मांतरण हो रहा है, लव जिहाद हो रहा है. तो यहां उसका अर्थ और ज्यादा होता है. उन्होंने आगे कहा कि कांग्रेस सरकार की जो तुष्टिकरण नीति है. ये अगर हो सकता है तो इजराइल में भी सांप्रदायिक दंगा कर दें, उनका मूड ऐसा है. अगर हो सकता है अभी उनका मन है इजराइल पहुंच जाना, वहां जाकर हमास के सपोर्ट में बयानबाजी करने का भी उनका मूड है.

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के पहले मुंडन करा लें वाले बयान पर हिमंता बिस्वा सरमा ने दिया ने कहा कि भूपेश बघेल हिंदू संस्कृति के बारे में कम जानते हैं. मैं मुंडन करता हूं लेकिन असम के 90 प्रतिशत हिंदू मुंडन नहीं करते. भूपेश बघेल हिंदू में जो विविधता है उसे नहीं जानते.

सीएम हिमंत बिस्वा सरमा ने लोरमी की राजनीतिक समीकरण पर कहा कि मैं पिछली बार आया था मगर इस बार 50% ज्यादा ऊपर देखा, मतलब जो माहौल बनना चाहिए वह बन रहा है. सीएम बघेल ने थोड़ा माहोल बनाया. मगर जनता का जो वाइब्रेशन देखा हम लोग सही दिशा में जा रहे हैं.

कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व की घोषणाओं पर हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा कि पीएम मोदी को जो बोलना है वह बोलेंगे, जो भी वादा करना है वह करेंगे लेकिन कांग्रेस के मेनिफेस्टो को कौन विश्वास में लेगा. कोई सरकार बेरोजगारी भत्ता देगी ऐसा वादा करती है क्या..? रोजगार दूंगा ऐसा बोलना चाहिए, हो ना हो पर लोगों में आशा तो होनी चाहिए. मतलब जीवन भर लोगों को बेरोजगार रहना होगा. तो भूपेश बघेल का स्टाइल अलग है, मेरी हिम्मत नहीं है ऐसा बोलने की.

सीएम भूपेश बघेल के भाजपा नहीं लड़ेगी, रमन सिंह की चल रही है वाले बयान पर हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा कि भाजपा कार्यकर्ताओं की पार्टी है. हमारा चहरा पीएम नरेंद्र मोदी, बीजेपी में नेता होने की प्रतियोगिता नहीं है, हम यहां परिवार जैसे हैं. जब राहुल गांधी, इंदिरा गांधी, जवाहरलाल नेहरू, प्रियंका गांधी को दबाने के लिए एक उदाहरण लेकर आते हैं, तो क्या वह उदाहरण सूट करता है. बोलने से पहले लोगों को सोचना चाहिए. करना है कंपेरिजन तो अच्छा कंपेरिजन करना चाहिए.

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