नई दिल्ली: दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल उपराज्यपाल वीके सक्सेना से मिलने उनके आवास पहुंचे हैं. बता दें कि दिल्ली ऑर्डिनेंस बिल इसी हफ्ते संसद में पेश हो सकता है. एलजी और सीएम दोनों के बीच ये मुलाकात करीब 45 मिनट तक चली. इस मुलाकात के बाद सीएम केजरीवाल बिना मीडिया से कोई बातचीत किए निकल गए. उससे पहले सीएम की उपराज्यपाल से यह मुलाकात बेहद ही अहम मानी जा रही है. वहीं इससे पहले यह बिल आज लोकसभा में पेश किया जाना था लेकिन किन्हीं वजहों से सरकार ने इसे पेश नहीं किया.
माना जा रहा है कि सरकार इस बिल को लोकसभा में तो बड़े ही आराम से पास करा लेगी, लेकिन उसे राज्यसभा में कई मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है. लोकसभा में तो सरकार के पास बहुमत है, लेकिन राज्यसभा में सरकार के पास बहुमत नहीं है. आम आदमी पार्टी राज्यसभा में ही सरकार को पटखनी देने का प्लान बन रही है. उसे उम्मीद है कि सरकार के इस बिल के खिलाफ समूचा विपक्ष उसे साथ देगा और इस बिल को पास नहीं होने दिया जाएगा. आप ने दलों के इस बिल के खिलाफ वोटिंग की शर्त पर विपक्षी एकता को अपना समर्थन दिया है.
वहीं इससे पहले आज आम आदमी पार्टी ने राज्यसभा के सभी सांसदों को दिल्ली में सेवाओं के नियंत्रण पर सरकार के अध्यादेश को लेकर पार्टी के रुख का समर्थन करने के लिए व्हिप जारी किया था. व्हिप में कहा गया कि सभी सांसद 31 जुलाई से 4 अगस्त तक सदन में उपस्थित रहें और पार्टी लाइन का पालन करें. बता दें कि केंद्र सरकार इस हफ्ते संसद में इस बिल को पेश कर करने वाली है. सरकार के कामकाज एजेंडे में इस बिल को स्थान दिया गया है.
क्या है ये बिल और इससे क्या बदलेगा?
NCT दिल्ली संशोधन बिल 2023 में राजधानी दिल्ली में लोकतांत्रिक और प्रशासनिक संतुलन का प्रावधान है. सरकार और विधानसभा के कामकाज को लेकर GNCTD अधिनियम लागू है. केंद्र ने साल 2021 में इसमें संशोधन किया था. इसमें उपराज्यपाल को ज्यादा पावर दी गई थी. साथ ही यह भी अनिवार्य किया गया था कि चुनी हुई सरकार को एलजी की राय लेना जरूरी है.
इस संशोधन को AAP सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी. सीएम केजरीवाल ने मांग उठाई कि पुलिस, लैंड और पब्लिक ऑर्डर को छोड़कर बाकी अन्य मामलों में चुनी हुई सरकार को अधिकार मिलने चाहिए. इसके बाद मई में सुप्रीम कोर्ट की 5 जजों वाली संविधान पीठ ने फैसला सुनाया कि विधायी ताकतों के बाहर के क्षेत्रों को छोड़ एडमिनिस्ट्रेशन और सर्विसेज को छोड़कर बाकी अधिकार दिल्ली सरकार के पास रहेंगे.
केंद्र के पास पुलिस, लैंड और पब्लिक ऑर्डर रहेगा. कोर्ट ने साफ कहा कि अफसरों के तबादले-नियुक्ति और प्रशासनिक सेवा का अधिकार दिल्ली सरकार के पास रहेगा. एलजी को सरकार की सलाह पर ही काम करना होगा.