Tamil Nadu CM MK Stalin: केंद्र सरकार और राज्यपाल से जारी टकराव के बीच तमिलनाडु सीएम एमके स्टालिन ने बड़ी चाल चली है। मुख्यमंत्री स्टालिन ने तमिलनाडु को स्वायत्त करने का प्रस्ताव विधानसभा में पेश कर दिया है। स्टालिन ने केंद्र सरकार के साथ संबंधों को बेहतर बनाने के लिए मंगलवार को एक हाई लेवल कमेटी का गठन किया है। इस कमेटी की अध्यक्षता सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड चीफ जस्टिस कुरियन जोसेफ करेंगे। राज्यपाल के साथ चल रहे तनाव के बाद यह निर्णय लिया गया है।
एमके स्टालिन ने कहा कि देश की आजादी को 75 साल पूरे हो गए हैं। हमारे देश में अलग अलग भाषा, जाति और संस्कृति के लोग रहते हैं। हम सब मिल जुलकर रहते हैं। उन्होंने कहा कि डॉ. अंबेडकर ने देश की राजनीति और प्रशासन की प्रणाली को इस तरह बनाया कि सभी की रक्षा की जा सके।
एम.के. स्टालिन ने कहा कि एक-एक करके राज्यों के अधिकार छीने जा रहे हैं. राज्य के लोग अपने मौलिक अधिकारों के लिए केंद्र सरकार से संघर्ष कर रहे हैं। हम अपनी भाषा से जुड़े अधिकारों की भी मुश्किल से रक्षा कर पा रहे हैं। स्टालिन ने कहा कि राज्य तभी सही मायने में तरक्की कर सकते हैं, जब उनके पास सभी ज़रूरी अधिकार और शक्तियां हों।
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तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने विधानसभा में कहा कि राज्य के अधिकारों की रक्षा और केंद्र-राज्य के रिश्तों को बेहतर बनाने के लिए एक उच्च स्तरीय समिति बनाई गई है। इस समिति में पूर्व अफसर अशोक शेट्टी और एम.यू. नागराजन जैसे लोग शामिल होंगे। यह समिति जनवरी 2026 तक एक अंतरिम रिपोर्ट देगी और दो साल के भीतर अपनी पूरी रिपोर्ट और सिफारिशें सरकार को सौंपेगी।
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अंतरिम रिपोर्ट जनवरी 2026 और अंतिम रिपोर्ट 2028 तक पेश होगा
इस समिति को उन विषयों को फिर से राज्य सूची में लाने की सिफारिश करने का भी काम सौंपा गया है, जो पहले राज्य सरकार देखती थी, लेकिन अब केंद्र और राज्य सरकार दोनों के अधीन है। विशेष समिति की अध्यक्षता सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज कुरियन जोसेफ करेंगे। इस समिति में पूर्व IAS अधिकारी अशोक वरदान शेट्टी और नागराजन भी सदस्य होंगे। इस समिति की अंतरिम रिपोर्ट जनवरी 2026 तक और अंतिम रिपोर्ट 2028 तक पेश की जानी है। मुख्यमंत्री स्टालिन ने विधानसभा में कहा कि इसका उद्देश्य तमिलनाडु सहित सभी राज्यों के अधिकारों की रक्षा करना है।
केंद्र ने खारिज की थी ये डिमांड
बता दें कि बीते दिनों तमिलनाडु सरकार ने मेडिकल प्रवेश परीक्षा NEET से छूट पाने के लिए जो बिल केंद्र को भेजा था, उसे केंद्र सरकार ने खारिज कर दिया था। राज्य की डीएमके सरकार चाहती थी कि मेडिकल कॉलेजों में दाखिले 12वीं के अंकों के आधार पर हों, लेकिन केंद्र ने कहा कि ऐसा करना राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति के खिलाफ है. इससे राज्य सरकार को बड़ा झटका लगा था। इस विधेयक को खारिज किए जाने पर मुख्यमंत्री ने नाराज़गी जताई थी।
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