Mukhyamantri mahila rojgar yojana Scheme: बिहार की सियासत और समाज में सोमवार का दिन ऐतिहासिक बन गया। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राजधानी पटना से मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना का शुभारंभ करते हुए राज्य की लगभग 50 लाख महिलाओं के बैंक खातों में डीबीटी के ज़रिए 10-10 हज़ार रुपये की पहली किस्त भेजी। कुल 5 हज़ार करोड़ रुपये का यह सीधा वितरण महिलाओं की ‘आर्थिक आज़ादी’ की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है।
मुख्यमंत्री ट्रांसफर करेंगे राशि
राज्य स्तरीय कार्यक्रम से मुख्यमंत्री राशि ट्रांसफर करेंगे, जिसका सीधा प्रसारण जिला मुख्यालयों से लेकर पंचायत स्तर तक किया गया। ग्रामीण विकास विभाग ने सभी जिलों को इसे उत्सव की शक्ल देने के निर्देश दिए थे। नतीजा यह रहा कि पंचायत से लेकर जिला मुख्यालय तक महिलाओं और जनप्रतिनिधियों की भारी मौजूदगी देखने को मिली।
38 जिला मुख्यालयों, 534 प्रखंडों, 1680 संकुल संघों और करीब 70 हज़ार ग्राम संगठनों में विशेष आयोजन किए गए। हर जगह ‘जीविका समूह’ की दीदियों ने केंद्रीय भूमिका निभाई, क्योंकि स्वयं सहायता समूह ही इस योजना का आधार हैं।
महिला के हाथ में परिवार की अर्थव्यवस्था
सरकार का कहना है कि यह योजना सिर्फ़ आर्थिक मदद नहीं, बल्कि महिलाओं के सशक्तिकरण का औज़ार है। 10 हज़ार रुपये की पहली किस्त से महिलाएं सिलाई, बुनाई, पशुपालन, खेती या छोटे-मोटे व्यापार की शुरुआत कर सकेंगी। मुख्यमंत्री का संदेश साफ है, परिवार की अर्थव्यवस्था अब महिला के हाथ में होगी।
1 करोड़ 5 लाख से अधिक महिलाओं ने किया आवेदन
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक अब तक 1 करोड़ 5 लाख से अधिक महिलाओं ने इस योजना के लिए आवेदन किया है। वहीं, 1 लाख 40 हज़ार नई महिलाएं स्वयं सहायता समूह से जुड़ने को तैयार हैं। यह दर्शाता है कि शहरी और ग्रामीण, दोनों ही क्षेत्रों की महिलाएं इस योजना से जुड़ने को उत्सुक हैं।
योजना का लाभ उन्हीं महिलाओं को मिलेगा जिनकी उम्र 18 से 60 वर्ष के बीच है और जिनके परिवार में कोई आयकरदाता या सरकारी नौकरी में नहीं है। अविवाहित, अनाथ महिलाओं को भी इसमें शामिल किया गया है।
विपक्ष योजना को बता रहा चुनावी मोहरा
जहां सत्ता पक्ष इसे नीतीश कुमार का ‘मास्टरस्ट्रोक’ और सुशासन की मिसाल बता रहा है, वहीं विपक्ष ने आरोप लगाया है कि यह महिलाओं को ‘चुनावी मोहरा’ बनाने की कोशिश है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि जिस राज्य से बड़ी संख्या में पुरुष रोज़गार के लिए बाहर जाते हैं, वहां महिलाओं को मज़बूत बनाना ही समाज और अर्थव्यवस्था को मज़बूत करेगा
कार्यक्रम की भव्यता और जनभागीदारी ने इसे महज़ आर्थिक सहायता योजना नहीं, बल्कि एक जनआंदोलन का रूप दे दिया है। गांव-गांव में महिलाओं का जो उत्साह दिखा, उससे साफ है कि यह योजना उनकी सामाजिक स्थिति और आत्मनिर्भरता को नई ऊंचाई देने की क्षमता रखती है।
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