मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता(Rekha Gupta) ने मानसून के दौरान जलभराव की रोकथाम के लिए अधिकारियों के साथ एक समीक्षा बैठक की. इस बैठक में उन्होंने अधिकारियों को निर्देशित किया कि वे एक सप्ताह के भीतर एक संपूर्ण कार्ययोजना प्रस्तुत करें. मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि यदि जलभराव की स्थिति उत्पन्न होती है, तो संबंधित अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. बैठक में लोक निर्माण विभाग के मंत्री प्रवेश वर्मा(Pravesh Verma) भी उपस्थित थे.

बैठक में ट्रैफिक पुलिस ने जानकारी दी कि 445 स्थान जलभराव के लिए चिन्हित किए गए हैं, जिनमें से 335 स्थान पीडब्ल्यूडी के अंतर्गत आते हैं. इनमें से 284 स्थानों पर कार्य पूरा हो चुका है, जबकि बाकी स्थानों को निर्धारित समय सीमा के भीतर पूरा करने का निर्देश दिया गया है. इन चिन्हित स्थानों में से सात स्थान अति संवेदनशील माने गए हैं. मुख्यमंत्री ने पीडब्ल्यूडी को निर्देश दिया है कि जनप्रतिनिधियों के सहयोग से एक व्यापक सर्वेक्षण किया जाए ताकि वास्तविक स्थिति का मूल्यांकन किया जा सके और त्वरित समाधान सुनिश्चित किया जा सके. इसके अलावा, ट्रैफिक पुलिस ने जलभराव वाले क्षेत्रों के अलावा अन्य संभावित और प्रभावित इलाकों की पहचान करने का भी निर्देश दिया है.

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बैठक के बाद मुख्यमंत्री ने बताया कि दिल्ली में हर वर्ष बारिश के दौरान जलभराव एक गंभीर समस्या बन जाती है, जिसके समाधान के लिए युद्धस्तर पर तैयारियां आरंभ कर दी गई हैं. नालों की सफाई, ड्रेनेज सिस्टम की मरम्मत और निगरानी व्यवस्था को सुनिश्चित किया गया है. उन्होंने कहा कि जलभराव वाले क्षेत्रों में नोडल अधिकारियों की नियुक्ति की गई है, जिसमें जूनियर और असिस्टेंट इंजीनियरों को फील्ड स्तर पर जिम्मेदारी सौंपी गई है. इसके अलावा, सात अत्यधिक संवेदनशील जलभराव स्थलों की निगरानी प्रमुख सचिव और इंजीनियर-इन-चीफ के जिम्मे होगी.