कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्दारमैया ने शनिवार को राज्योत्सव दिवस के मौके पर केंद्र सरकार पर बड़ा आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि केंद्र कर्नाटक के साथ सौतेला व्यवहार कर रहा है और कन्नड़ भाषा की अनदेखी करते हुए हिंदी थोपने की कोशिश कर रहा है। सिद्दारमेया ने कहा, “कर्नाटक हर साल 4.5 लाख करोड़ का राजस्व देता है, लेकिन हमें बहुत कम हिस्सा वापस मिलता है। यह राज्य के साथ अन्याय है।”
उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार हिंदी और संस्कृत के विकास के लिए अनुदान देती है, लेकिन देश की दूसरी भाषाओं खासकर कन्नड़ के लिए पर्याप्त फंड नहीं दिए जा रहे हैं। CM सिद्धारमैया बोले- अंग्रेजी और हिंदी हमारे बच्चों की प्रतिभा को कमजोर कर रही है। मातृभाषा को शिक्षा का माध्यम बनाने के लिए कानून होना चाहिए। केंद्र को मातृभाषा में ही शिक्षा को अनिवार्य करना चाहिए।
सिद्दारमेया का सुझाव
कर्नाटक के सीएम ने कहा, “दुनिया विकसित देशों के बच्चे अपनी मातृभाषा में सोचते और सीखते हैं, लेकिन हमारे यहां अंग्रेजी और हिंदी का प्रभाव बढ़ रहा है, जिससे बच्चों की प्रतिभा कमजोर हो रही है।” सिद्दारमेया ने सुझाव दिया कि मातृभाषा को शिक्षण का माध्यम बनाने के लिए कानून लाया जाना चाहिए और केंद्र को इस दिशा में कदम उठाने चाहिए।
राष्ट्रपति मुर्मू से भी पूछा था- कन्नड़ आती है
CM सिद्धारमैया अक्सर कन्नड़ को लेकर केंद्र सरकार को निशाना बनाते रहते हैं। सितंबर में एक इवेंट के दौरान उन्होंने मुख्य अतिथि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से ही पूछ लिया था कि क्या आपको कन्नड़ आती है, मैं कन्नड़ में बात करता हूं।’
हालांकि राष्ट्रपति ने सिद्धारमैया को जवाब देते कहा- मैं मुख्यमंत्री से कहना चाहूंगी कि कन्नड़ भले ही मेरी मातृभाषा नहीं हैं, लेकिन यह कर्नाटक की भाषा है। मुझे भारत की हर भाषा, संस्कृति और परंपरा से प्यार है। मैं उनका सम्मान करती हूं।’ राष्ट्रपति ने आगे कहा, ‘सब अपनी भाषा को जीवित रखिए। अपनी संस्कृति और परंपरा को जिंदा रखिए। मैं इसके लिए शुभकामनाएं देती हूं। मैं कन्नड़ भाषा धीरे-धीरे सीखने का कोशिश करूंगी।’
कर्नाटक में मनाया जा रहा 70वां राज्योत्सव
कर्नाटक राज्य की स्थापना राज्य पुनर्गठन अधिनियम 1956 के तहत हुई थी। 1 नवंबर 1956 को कई कन्नड़-भाषी क्षेत्रों को मिलाकर मैसूर राज्य बनाया गया था, जिसे 1973 में कर्नाटक नाम दिया गया। इस दौरान पूरे राज्य में झंडारोहण, सांस्कृतिक कार्यक्रम और पुरस्कार वितरण समारोह आयोजित होते हैं। राज्य का नारा है जहां भी रहो, जैसे भी रहो, सदा कन्नड़ बने रहो।
कर्नाटक में लागू हैं कन्नड़ से जुड़े तीन कानून
कर्नाटक में कन्नड़ लैंग्वेज लर्निंग एक्ट- 2015, कन्नड़ लैंग्वेज लर्निंग रूल- 2017 और कर्नाटक एजुकेशनल इंस्टीट्यूट रूल- 2022 कानून लागू हैं। वहीं सिद्धारमैया सरकार के नियमों के मुताबिक सभी सरकारी ऑफिस, स्कूलों, कॉलेजों और बिजनेस में कन्नड़ भाषा को प्राथमिकता दी जाएगी। सार्वजनिक साइनबोर्ड, एडवर्टाइजमेंट और वर्क प्लेस पर कन्नड़ भाषा बोली-लिखी जाएगी। सामानों की पैकेजिंग पर नाम और जानकारी कन्नड़ में छापना अनिवार्य होगा। यह नियम सरकारी और प्राइवेट दोनों संस्थानों के लिए होगा।
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