रायपुर। सुशासन, योजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन और विभागों के काम में कसावट लाने मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की समीक्षा बैठकों का दौर जारी है. मुख्यमंत्री आज लगातार तीसरे दिन अलग-अलग विभागों की समीक्षा कर रहे हैं. उन्होंने उप मुख्यमंत्री अरुण साव, मुख्य सचिव अमिताभ जैन और मुख्यमंत्री सचिवालय, जल जीवन मिशन और विभागीय अधिकारियों के साथ लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के कार्यों की समीक्षा की. उन्होंने बैठक में बरसात के दिनों में प्रदेश में स्वच्छ पेयजल के लिए पुख्ता व्यवस्था के निर्देश दिए. उन्होंने पेयजल संबंधी शिकायतों के त्वरित निराकरण के लिए पीएचई विभाग के टोल-फ्री नम्बर 1800-233-0008 का व्यापक प्रचार-प्रसार करने को कहा.

सीएम विष्णुदेव साय ने अपने निवास कार्यालय में हुई समीक्षा बैठक में जन कल्याणकारी योजनाओं के मैदानी स्तर पर प्रभावी क्रियान्वयन पर जोर दिया. उन्होंने जल जीवन मिशन के कार्यों में तेजी लाते हुए राज्य के हर घर में पाइपलाइन के जरिए शुद्ध पेयजल पहुंचाने का शत-प्रतिशत लक्ष्य जल्द हासिल करने के निर्देश दिए. उन्होंने आगामी वर्षा ऋतु को देखते हुए शुद्ध पेयजल के लिए जलापूर्ति व्यवस्था के आवश्यक रखरखाव और मरम्मत का कार्य पूर्ण करने को कहा. मुख्यमंत्री ने जल जीवन मिशन के अंतर्गत गांवों में नियुक्त किए जाने वाले नल जल मित्रों का प्रशिक्षण कौशल विकास केंद्रों के माध्यम से यथाशीघ्र प्रारंभ करने के निर्देश दिए. उन्होंने विभाग में तकनीकी अमला बढ़ाने के लिए नई भर्तियों के प्रस्ताव भी शीघ्र भेजने को कहा.

मुख्यमंत्री ने खारे पानी, भू-जल में भारी तत्वों की मौजूदगी और जल स्तर के ज्यादा नीचे चले जाने की समस्या से जूझ रहे गांवों के लिए जल जीवन मिशन के अंतर्गत निर्मित किए जा रहे 71 मल्टी-विलेज योजनाओं का काम तेजी से पूर्ण करने के निर्देश दिए, जिससे उन गांवों में यथाशीघ्र साफ पेयजल पहुंच सके. कुल 4527 करोड़ रुपए की लागत से राज्य के 18 जिलों में ये मल्टी-विलेज योजनाएं प्रारंभ की जा रही हैं. इन योजनाओं के माध्यम से 3234 गांवों में शुद्ध पेयजल की आपूर्ति की जाएगी. इससे दस लाख से अधिक घरों में पाइपलाइन के जरिए स्वच्छ व सुरक्षित पेयजल पहुंचेगा.

उप मुख्यमंत्री और लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी मंत्री अरुण साव ने समीक्षा बैठक में जल जीवन मिशन के तहत गांवों में पेयजल व्यवस्था के सुचारू संचालन के लिए संचालन-संधारण नीति जल्द तैयार करने की जरूरत बताई. उन्होंने जलस्रोतों को रिचार्ज करने मनरेगा के माध्यम से आवश्यक संरचनाओं के निर्माण पर जोर दिया. अरुण साव ने ऐसे गांवों में जहां पेयजल आपूर्ति के लिए भू-जल स्रोत नहीं मिल रहे हैं, उन गांवों के लिए नई मल्टी-विलेज योजनाएं राज्य मद से स्वीकृत करने का आग्रह मुख्यमंत्री से किया. उन्होंने सुझाव दिया कि इसके लिए सीएसआर या डीएमएफ फंड से राशि की व्यवस्था की जा सकती है. उन्होंने तेजी से नए नलकूपों के खनन के लिए विभाग में नई ड्रिलिंग मशीनें खरीदने की जरूरत भी बताई.

लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के सचिव मोहम्मद कैसर अब्दुलहक ने बैठक में बताया कि प्रदेश में अब तक 39 लाख 14 हजार से अधिक घरों में पाइपलाइन के जरिए स्वच्छ एवं सुरक्षित पेयजल पहुंचाया जा चुका है. जल जीवन मिशन के तहत अब तक 78 प्रतिशत से अधिक लक्ष्य को हासिल किया जा चुका है. राज्य के 3356 गांवों में शत-प्रतिशत, 5093 गांवों में 90 प्रतिशत से 100 प्रतिशत तथा 3153 गांवों में 80 प्रतिशत से 90 प्रतिशत घरों में नल का पानी पहुंच रहा है. उन्होंने बताया कि गांवों में पंचायतों के द्वारा जलापूर्ति व्यवस्था के सुचारू संचालन के लिए नल जल मित्र की नियुक्ति की जाएगी. भारत सरकार द्वारा इसके लिए प्रदेश के 33 मास्टर ट्रेनर्स को प्रशिक्षण दिया गया है.

मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने कौशल विकास केंद्रों के माध्यम से ग्राम पंचायतों द्वारा चयनित नल जल मित्रों का प्रशिक्षण शीघ्र प्रारंभ करने के निर्देश दिए. मुख्यमंत्री के सलाहकार डॉ. धीरेन्द्र तिवारी, मुख्यमंत्री के सचिव पी. दयानंद, और डॉ. बसवराजु एस, क्रेडा के सीईओ राजेश सिंह राणा, जल जीवन मिशन के एमडी सुनील जैन और लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के प्रमुख अभियंता एम.एल. अग्रवाल सहित विभाग के वरिष्ठ अधिकारी समीक्षा बैठक में मौजूद थे.