नई दिल्ली. भारतीय राजनीति के करिश्माई नेता और पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का लंबी बीमारी के बाद गुरुवार को दिल्ली एम्स में निधन हो गया. वाजपेयी को श्रद्धांजलि देने और उनके अंतिम दर्शन के लिए शुक्रवार को बीजेपी मुख्यालय पर हजारों की संख्या में लोग पहुंचे.

वाजपेयी का पार्थिव शरीर कृष्ण मेनन मार्ग स्थित उनके आवास से सुबह 11 बजे दीन दयाल मार्ग पर बीजेपी मुख्यालय लाया गया. इस दौरान सड़क के दोनों किनारों पर लोग अपने प्रिय नेता के अंतिम दर्शन की लालसा में खड़े रहे. इस बीच, अटल जी के निधन के बाद यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने घोषणा करते हुए कहा कि उनकी अस्थियों को हर जिले की पवित्र नदियों में प्रवाहित किया जाएगा.

यूपी से वाजपेयी का गहरा रिश्ता रहा है और इसी राज्य को उनकी कर्मभूमि कहा जाता है. वह लखनऊ से सांसद रहे और यूपी में बीजेपी को सत्ता के शिखर तक पहुंचाने में उनका अहम योगदान है. यही वजह है कि वाजपेयी के सम्मान में राज्य के सभी सरकारी कार्यालय, स्कूल, कॉलेजों को शुक्रवार को बंद रखने का फैसला किया गया.

वाजपेयी का जन्म 25 दिसंबर, 1924 को मध्य प्रदेश के ग्वालियर में एक स्कूल टीचर कृष्ण बिहारी वाजपेयी और कृष्णा देवी के घर हुआ था. वर्तमान में उनके जन्म दिवस को ‘सुशासन दिवस’ के रूप में मनाया जाता है. स्कूली शिक्षा के बाद उन्होंने ग्वालियर के विक्टोरिया कॉलेज में स्नातक की पढ़ाई की. उन्होंने कानपुर के डीएवी कॉलेज से एमए किया. वामपंथ से थोड़े दिन के लगाव के बाद 1947 में वह आरएसएस के पूर्णकालिक कार्यकर्ता बन गए.