गोरखपुर और अंबेडकरनगर के सीमावर्ती क्षेत्रों में रहने वाले लोगों की पक्के पुल की वर्षों पुरानी मांग पूरी हो चुकी है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ गुरुवार को दोपहर बाद कम्हरिया घाट पहुंचकर सरयू (घाघरा) नदी पर बने पुल का लोकार्पण करेंगे. करीब 194 करोड़ रुपये की लागत से निर्मित 1412.31 मीटर लंबे इस पुल पर संचालन शुरू हो जाने के साथ ही गोरखपुर से संगमनगरी प्रयागराज के बीच की दूरी करीब 80 किलोमीटर कम हो जाएगी. 500 गांवों के करीब 20 लाख लोगों को इसका सीधा फायदा मिलेगा. अंबेडकरनगर, आजमगढ़, जौनपुर, अयोध्या जाने के लिए लोगों के पास एक वैकल्पिक मार्ग भी उपलब्ध होगा.
कम्हरिया घाट के एक ओर गोरखपुर तो दूसरी ओर अंबेडकरनगर जिला स्थित है. वर्षों से स्थानीय लोग यहां पक्का पुल बनाने की मांग करते आ रहे हैं. पक्का पुल न होने के कारण दोनों जिलों के बीच की दूरी 60 किलोमीटर बढ़ जाती थी. योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली सरकार ने इस क्षेत्र के लोगों का सपना पूरा किया है. कम्हरिया घाट पुल से होकर जाने में गोरखपुर से प्रयागराज की दूरी अब सिर्फ 200 किलोमीटर होगी. अभी तक लोगों को 280 से 300 किलोमीटर तक की दूरी तय करनी पड़ती थी.
सेतु निगम ने बनाया पुल
सरयू नदी के कम्हरिया घाट (सिकरीगंज-बेलघाट-लोहरैया-शंकरपुर-बाघाड़) पर पुल का निर्माण उत्तर प्रदेश राज्य सेतु निगम लिमिटेड द्वारा किया गया है. इस पुल का निर्माण जून 2022 में पूरा किया गया. नवनिर्मित पुल से आवागमन चालू होने से स्थानीय लोगों में खुशी है. उन्होंने मुख्यमंत्री के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा कि दक्षिणांचल के इस पिछड़े क्षेत्र का अब सामाजिक और आर्थिक विकास होगा. चंचल शाही, मुन्ना मिश्रा आदि ने कहा कि पहले यहां लोग दिन में भी जाने से डरते थे, लेकिन अब रात में भी निडर होकर यात्रा की जा सकेगी.
जल सत्याग्रह के बाद स्वीकृत हुई थी पुल की परियोजना
गुरुवार को लोकार्पित हुए पुल के पीछे संघर्ष की कहानी भी है. स्थानीय लोगों ने इस पुल के लिए कई दिनों तक धरना प्रदर्शन किया था. लोगों के संघर्ष के कारण ही यहां पीपे का पुल बनाया गया था. लेकिन पक्के पुल की मांग को लेकर उनका प्रदर्शन जारी रहा. आंदोलन की शुरूआत गोवर्धन चंद, भिखारी प्रजापति और बेलघाट के विनय शाही ने की थी.
जमकर हुआ संघर्ष
सर्वहित क्रांति दल के अध्यक्ष सतवंत प्रताप सिंह ने 2013 में जल सत्याग्रह शुरू किया था. जिसके बाद आंदोलन को और धार मिली. इस साल 17 से 24 अप्रैल तक जल सत्याग्रह चला था. प्रशासन की ओर से कोई आश्वासन ना मिलने के कारण कुछ सत्याग्रहियों ने जलसमाधि के लिए सरयू नदी में छलांग लगा दी थी. ग्रामीणों और पुलिस के बीच जमकर संघर्ष हुआ था. नदी के किनारे लाठी चार्ज भी हुआ. प्रशासन-पुलिस के अधिकारियों को भी भागकर जान बचानी पड़ी थी. इस घटना के बाद 24 ज्ञात और 250 अज्ञात लोगों के विरुद्ध मुकदमा भी दर्ज हुआ था, जो अभी भी चल रहा है. इस आंदोलन का असर था कि वर्ष 2014 में पुल का निर्माण शुरू हो गया. लेकिन एक साल बाद ही बजट के अभाव में काम रोक देना पड़ा था. जिसके बाद एक बार फिर निर्माणकार्य शुरू हुआ और आज ये पुल पूरा हो चुका है.
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