लखनऊ. देश के प्रथम स्वतंत्रता समर की अमर सेनानी, शहीद वीरांगना ऊदा देवी हमें याद दिलाती हैं कि नारी शक्ति कितनी सामर्थ्यवान है. ये बातें मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने वीरांगना ऊदा देवी के बलिदान दिवस पर उनकी प्रतिमा के अनावरण एवं स्वाभिमान समारोह के उद्घाटन कार्यक्रम में कही. सीएम ने ये भी कहा कि वीरांगना ऊदा देवी का बलिदान हमें प्रेरणा देता है कि अन्याय बड़ा हो तो प्रतिरोध उससे भी बड़ा होना चाहिए.

सीएम ने अपने संबोधन में कहा कि भारत की स्वाधीनता को प्राप्त करने के लिए इस प्रकार के वीरों और वीरांगनाओं का योगदान अवीस्मरणीया रहा है. लखनऊ की भूमि इस मामले में अनोखी है. 1857 की प्रथम स्वातंत्र समर का केंद्र बिंदु उत्तर प्रदेश ही था. शहीद मंगल पांडे ने उसकी हुंकार भरी थी बैरकपुर में. मेरठ में धनसिंह कोतवाल ने उसको आगे बढ़ाया था. झांसी में महारानी लक्ष्मीबाई प्रथम स्वातंत्र समर की अमर योद्धा के रूप में उसे नेतृत्व दे रही थीं. बिठुर में तात्या टोपे उस लहर को मजबूती दे रहे थे. लखनऊ में बेगम हजरत महल उसको नई ऊंचाइयां देकर वीरांगना ऊदा देवी पासी जैसे अमर सेनानियों के साथ मिलकर स्वातंत्र समर को आगे बढ़ाया था.

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सीएम योगी ने कहा कि वीरांगना ऊदा देवी ना केवल नारी जाति के लिए, बल्कि हर हिन्दुस्तानी के लिए एक प्रेरणा हैं. उन्होंने विदेशी हुकूमत को हिलाने और अत्याचार का जवाब देने के लिए 16 नवंबर 1857 को लखनऊ के सिकंदरबाद में पीपल के वृक्ष पर चढ़कर 36 अंग्रेजी सैनिकों को उन्होंने ढेर किया था. उनका ये बलिदान हमें इस बात की प्रेरणा देता है कि यदि अन्याय बड़ा हो तो उसका प्रतिरोध उससे भी बड़ा होना चाहिए. ये प्रतिरोध उन्होंने उस समय देश के क्रांतिकारी और युवाओं को इस अन्याय के खिलाफ लड़ने के लिए उन्होंने पूरी प्रतिबद्धता के साथ उस समय अपना योगदान दिया.