रायपुर। छत्तीसगढ़ में कांग्रेस ने सभी दस नगर निगमों में जीत हासिल कर ऐसा रिकॉड बना दिया, जिसे शायद विपक्षी दल आने वाले दशकों तक न तोड़ पाए. कांग्रेस ने छत्तीसगढ़ में एक नया राजनीतिक इतिहास रचने का काम किया है. सत्ताधारी दल कांग्रेस के लिए कुछ नगर निगम में तो राह आसान थी, लेकिन धमतरी, रायपुर और विशेषकर कोरबा में महापौर पद कब्जा करना आसान नहीं था. कोरबा में तो भाजपा पार्षदों की संख्या इतनी थी कि वहाँ यही माना जा रहा था कि भाजपा कोरबा जरूर जीतेगी, लेकिन कांग्रेस ने ऐसा चक्रव्यूह रच दिया की भाजपा उसे ही भेद ही नहीं पाई. धमतरी से लेकर रायपुर और कोरबा तक कांग्रेस ने ऐसी रणनीतिक जीत हासिल की, कि बीजेपी के अच्छे से अच्छे रणनीतिकार फेल हुए यहाँ तक भाजपा के संकटमोचन कहलाने वाले भी हार का संकट टाल न सके.
पर ऐसा भी नहीं कि कांग्रेस ने यह कमाल आसानी से कर लिया हो. कांग्रेस ने 10 नगर निगमों के मुकाबले इन तीन निगमों के लिए व्यापक रणनीति बनाई थी. खास तौर पर राजधानी रायपुर और कोरबा की चुनौती को देखते हुए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने अपने सबसे भोरसेमंद रायपुर की पूर्व महापौर डॉ. किरणमयी नायक को जिम्मेदारी दी थी. मुख्यमंत्री जानते थे कि कोरबा की चुनौती बड़ी. वहीं राजधानी की अहमियत क्या है ? वे यह भी जानते थे कि इन दोनों ही जगहों पर कुशलतापूर्ण निर्विवाद तरीके से कैसे जीत हासिल की जा सकती है और इसमें पीसीसी अध्यक्ष मोहन मरकाम के साथ कौन-कौन मोर्चा संभाल सकते हैं. मुख्यमंत्री ने इन दोनों ही चुनौतीपूर्ण जगहों में किरणमयी नायक को पीसीसी अध्यक्ष के साथ जवाबदेही थी.
lalluram.com से बातचीत में किरणमयी नायक कहती हैं कि उनके सामने कोरबा और रायपुर में जीत से कहीं ज्यादा चुनौती सीएम के विश्वास पर खरा उतरने की थी. एक बड़ी जिम्मेदारी उन्हें पीसीसी अध्यक्ष की टीम मिली थी. लेकिन उन्हें विश्वास था कि विपक्षियों की रणनीति को भांप कर कैसे उन्हें पटकनी दी जा सकती है. उनके पास निगम के कार्यकाल अनुभव था. वे निगम की राजनीति से परिचित थी. वे जानती थी कि हालात जब विपरीत हो तो किस तरह से काम करना है ? पीसीसी अध्यक्ष मोहन मरकाम के नेतृत्व में हमने रायपुर और कोरबा में जाकर मोर्चा संभाला. अपने पार्षदों को एकजुट करने के साथ गैर कांग्रेस-भाजपा पार्षदों को साधना आसान नहीं था. लेकिन विपक्ष को परास्त करने की कला वे जानती थी लिहाजा ऐसी कोई चूक हमने नहीं होने दी जिसका फायदा विपक्ष को हो सकता था. दिन-रात लगातार मुख्यमंत्री की निगरानी और पीसीसी अध्यक्ष के नेतृत्व में रायपुर और कोरबा में जीत के लिए हमने ऐसी तैयारियाँ की कि विपक्ष के पास कोई मौका ही नही था कि वे रणनीति को भेद पाते. मुझे खुशी है कि सीएम ने जिस विश्वास के साथ मुझे जिम्मेदारी दी थी मैं उस पर खरा उतरी. और खुशी है कि पीसीसी अध्यक्ष मोहन मरकाम के नेतृत्व में संगठन ने दस का दम दिखाया.