दिल्ली. राजस्थान के कोटा शहर के लिए वर्ष 2018 का दिसंबर का महीना अशुभ शाबित हुआ. बीते एक माह में यहां कोचिंग कर रहे चार छात्रों ने आत्महत्या कर ली. कोटा शहर गत कई वर्षो से कोचिंग कर रहे छात्रों द्वारा आत्महत्या किए जाने से देशभर में चर्चा का विषय रहा है.

पुलिस के अनुसार, कोटा में कोचिंग कर रहे विद्यार्थियों की आत्महत्या की घटनाओं में बढ़ोतरी हुई है. साल 2018 में 19 छात्र मौत को गले लगा चुके हैं.

कोटा में पुलिस, प्रशासन, कोचिंग संस्थान ने छात्र-छात्राओं में पढ़ाई का तनाव कम करने के बहुत से प्रयास किए, लेकिन घटनाएं रुकने का नाम नहीं ले रहीं. इंजीनियरिंग और मेडिकल कॉलेजों में नामांकन कराने के लिए होने वाली प्रवेश परीक्षाओं की तैयार करने के लिए देशभर से हर साल करीबन दो लाख छात्र कोटा आते हैं. वे यहां के विभिन्न निजी कोचिंग सेंटरों में दाखिला लेकर तैयारी में लगे रहते हैं. लेकिन चिंता की बात यह है कि परीक्षा उत्तीर्ण करने के दबाव में आकर पिछले कुछ वर्षो में काफी छात्रों ने आत्महत्या की है, जिसके लिए अत्यधिक मानसिक तनाव को कारण माना जा रहा है.

कोटा शहर के हर चौक-चौराहे पर छात्रों की सफलता के बड़े-बड़े होर्डिग्स बताते हैं कि कोटा में कोचिंग ही सब कुछ है. ये हकीकत है कि कोटा में सफलता का स्ट्राइक 30 फीसदी से ऊपर रहता है और देश के इंजीनियरिंग और मेडिकल के प्रतियोगी परीक्षाओं में टॉप टेन में से कम से पांच छात्र कोटा के ही रहते हैं. लेकिन कोटा का एक और सच भी है जो बेहद भयावह है. एक बड़ी संख्या उन छात्रों की भी है जो असफल हो जाते हैं और उनमें से कुछ ऐसे होते हैं जो अपनी असफलता बर्दाश्त नहीं कर पाते.

कोचिंग की मंडी बन चुका राजस्थान का कोटा शहर अब आत्महत्याओं का गढ़ बनता जा रहा है. यहां शिक्षा के बजाय सपने बेचने का कारोबार हो रहा है जो मौत में तब्दील हो रहा है. कोटा एक तरफ जहां मेडिकल और इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षाओं में बेहतर परिणाम देने के लिए जाना जाता है, वहीं इन दिनों छात्रों द्वारा आत्महत्या के बढ़ते मामलों को लेकर राष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियों में है. कोटा पुलिस के अनुसार साल 2018 में 19 छात्र, 2017 में सात छात्र, 2016 में 18 छात्र और 2015 में 31 छात्रों ने मौत को गले लगा लिया. वर्ष 2014 में कोटा में 45 छात्रों ने आत्महत्या की थी, जो 2013 की अपेक्षा लगभग 61.3 प्रतिशत ज्यादा थी.

राजस्थान का कोटा शहर आज की तारीख में देश का कोचिंग सुपर मार्केट है. एक अनुमान के हिसाब से कोटा कोचिंग सुपर मार्केट का सालाना टर्नओवर 1,800 करोड़ रुपये का है. कोचिंग सेन्टरों द्वारा सरकार को अनुमानत: सालाना 100 करोड़ रुपये से अधिक टैक्स के तौर पर दिया जाता है. देश के तमाम नामी गिरामी संस्थानों से लेकर छोटे मोटे 200 कोचिंग संस्थान यहां चल रहे हैं, जो प्रवेश परीक्षा का प्रशिक्षण दे रहे हैं. आज की तारीख में यहां लगभग डेढ़ से दो लाख छात्र इन संस्थानों से कोचिंग ले रहे हैं.

पूर्व में कोटा में कार्य कर चुके एक जिला कलेक्टर ने शहर के कोचिंग संस्थानों को एक पत्र भेजा था जिसे हिंदी एवं अन्य क्षेत्रीय भाषाओं में अनूदित कर छात्रों के माता पिता को भेजा गया था. युवा छात्रों की खुदकुशी की घटनाओं का हवाला देते हुए उस पत्र में जिला कलेक्टर ने लिखा कि उन्हें बेहतर प्रदर्शन के लिए डराने धमकाने के बजाय आपके सांत्वना के बोल और नतीजों को भूलकर बेहतर करने के लिए प्रेरित करना, उनकी कीमती जानें बचा सकता है.

मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने एक मोबाइल पोर्टल और ऐप लाने का इरादा जताया है, ताकि इंजीनियरिंग में दाखिले की तैयारी करने वाले विद्यार्थियों के लिए कोचिंग की मजबूरी खत्म की जा सके.