रायपुर। छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले स्थित मदनपुर साउथ कोल ब्लॉक के लिए भूमि अधिग्रहण करने केंद्र सरकार ने अधिसूचना जारी कर दी है. इस अधिसूचना को हसदेव अरण्य बचाओ संघर्ष समिति गैरकानूनी बताया है.

संघर्ष समिति के संयोजक आलोक शुक्ला का कहना है कि केंद्र सरकार पाँचवीं अनसूची क्षेत्र में लागू पेसा कानून का उल्लंघन कर रही है. बिना ग्राम सभा की समिति के कोई भी जमीन अधिग्रहण नहीं किया जा सकता. केंद्र सरकार न सिर्फ पेसा कानून का उल्लंघन कर रही, बल्कि वह राज्य सरकार को भी बाइपास कर रही है. इस मामले में राज्य सरकार को अब केंद्र सरकार के समक्ष कड़ा विरोध जताना चाहिए. क्योंकि जिस इलाके में यह कोल खदान वह लेमरू प्रोजेक्ट का एरिया है. हाथियों का रहवास क्षेत्र है.

इस मामले में मत्री टीएस सिंहदेव का कहना है कि ऐसा नहीं होना चाहिए. केंद्र की सरकार कई पैमानों पर कुछ लोगों को सहयोग देने के लिए बहुत जल्दी में दिख रही है. उनका कहना है कि यह देश के हित में है, अभी तक मेरा विश्वास भी कम होता चला गया है. राजनीतिक विचारधारा के अलावा हम लोगों की विचारधारा अलग है. अनेकों मुद्दों में वह सफल साबित नहीं हुए हैं., चाहे वह नोटबंदी हो चाहे, जीएसटी हो चाहे अन्य बड़े मुद्दे हो, जो लोगों के सामने लाए गए हैं. भले ही वह प्रतिद्वंदी होते, यदि वह सही होते तो हम कहते हैं कि यह ठीक हुआ. उसी तर्ज पर एक के बाद एक बहुत जल्दबाजी में यह निर्णय हो रहे हैं. चाहे वह किसान वाला बिल हो, चाहे कोल आवंटन हो, जल्दबाजी में इस प्रकार के लिए गए निर्णय और देश के बुनियादी कानूनों को तोड़ कर लिए जाने वाले निर्णय उचित नहीं है.

बता दें कि कोयला मंत्रालय ने कॉल बैरिंग एक्ट 1957 के तहत अधिसूचना जारी कर कॉरपोरेशन को आवंटित कर दिया है. कोल ब्लॉक के लिए ग्राम मोरगा एवं केतमा की 712.072 हेक्टेयर जमीन अधिग्रहित की जाएगी. इसमें 648. 601 हेक्टेयर वन भूमि है. 63.471 हेक्टेयर गैर वन भूमि है. मदनपुर साउथ कोल ब्लॉक में 158.92 मिलीयन टन कोयला भंडारित है. कंपनी द्वारा प्रस्तुत माइनिंग प्लान के अनुसार सालाना 5.4 मिलियन टन कोयला उत्पादन किया जाएगा. 35 वर्षों तक कोयला उत्खनन का कार्य हो सकेगा.