नई दिल्ली/रायपुर। कोयले की उपलब्धता में कमी का असर ताप विद्युत संयंत्रों के साथ-साथ कोयले पर आधारित रोलिंग मिलों सहित अन्य उद्योगों पर पड़ रहा है. कोयले की अनुपलब्धता की वजह से प्रदेश के रोलिंग मिलों को अपना उत्पादन घटना पड़ा है. रोलिंग मिल संचालकों का कहना है कि स्थिति में तत्काल सुधार नहीं हुआ तो दिवाली में उद्योगों में अंधेरा नजर आएगा.
जानकारी के अनुसार, देश के ताप विद्युत संयंत्रों में अगस्त महीने के शुरू में 13 दिन के कोयले से घटते-घटते सितंबर महीने के अंत तक महज चार दिन का ही कोयला बाकी था. आशंका है कि कोयले के इस संकट का असर अगले छह महीनों तक बरकरार रहेगा. कोयले के संकट को देखते हुए ताप विद्युत संयंत्र प्रबंधन ने अलर्ट जारी कर दिया है.
वहीं कोयले की अनुपलब्धता की वजह से प्रदेश के रोलिंग मिलों में छाए संकट का हवाला देते हुए छत्तीसगढ़ स्टील रि रोलर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष मनोज अग्रवाल, उपाध्यक्ष संजय त्रिपाठी व कोषाध्यक्ष ओमप्रकाश अग्रवाल ने बताया कि इस परेशानी को लेकर उद्योग विभाग के अधिकारियों के साथ ही छत्तीसगढ़ विद्युत नियामक आयोग में भी गुहार लगा चुके हैं. यहां तक बीएसपी के उच्चाधिकारियों को भी चिट्ठी लिखी जा चुका है, लेकिन अभी तक कोई नतीजा नहीं निकला है.
जानकार बताते हैं कि समय रहते कोयले की उपलब्धता पर ध्यान नहीं दिए जाने से सबकुछ अनियंत्रित हो चुका है. भविष्य की भी तस्वीर अच्छी नहीं है. चीन में कोयला का गंभीर संकट है, जिसकी वजह से कोयला की भारी मांग है. आने वाले ठंड को देखते हुए चीन की जरूरत कम नहीं होने वाली है. ऐसी स्थिति में देश में हालत को सुधारने के लिए न केवल छत्तीसगढ़ बल्कि ओडिसा और झारखंड के भी कोयला खदानों से उत्पादन बढ़ाने की जरूरत है.