रायपुर। छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जिले के तमनार ब्लॉक में पीपुल्स फर्स्ट कलेक्टिव के स्वास्थ्य अध्ययन में काफी चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं. इन क्षेत्रों में रहने वाले लोग कई तरह की गंभीर बीमारियों से ग्रस्त हैं. जिन लोगों के स्वास्थ्य की जांच की गई है वे कोयला खदानों और थर्मल पावर प्लांटों के आस-पास रहते हैं. समिति के सदस्य रिंचिन, डॉ मनन गांगुली, डॉ समरजीत जाना ने गुरुवार को पत्रकारवार्ता में इसका खुलासा किया.

स्वास्थ्य और रसायन विशेषज्ञों द्वारा कोसमपाली, डोंगामहुआ, कोडकेल, कुंजेमुरा और रेहगांव गांवों में हवा, पानी, मिट्टी और तलछट में रसायन की उपस्थिति की जांच की गई। इनके निवासियों द्वारा कोयला खानों, तापीय बिजली संयंत्रों और कोयला राख तालाबों से गंभीर प्रदूषण और स्वास्थ्य समस्या की शिकायतों पर यह जांच की गई थी.

जांच में हवा का 4 नमूना, पानी का 7 , मिट्टी का 9 , उड़ने वाली राख का 2  और तलछट के 6 नमूने अलग-अलग जिले के अलग-अलग स्थान से लिया गया था. सभी जगह के नमूने की जांच करने पर उसमें जहरीले उच्च धातु पदार्थ और वो नमूने दूषित पाए गए. वायु के नमूने की जांच करने पर भारतीय, विश्व स्वास्थ्य संगठन और यू.स.इ.प.ए नियामक दिशा-निर्देशों के अनुसार PM 2.5 (हवा में उपस्थित महीन कण (PM 2.5) जो सांस के द्वारा फेफड़ों में चले जाते हैं) ऊपर स्तर की उपस्थिति का पता चला है.

हवा में सिलिका, निकिल, मैंगनीज और आर्सेनिक जैसी जहरीली धातुओं की मात्रा स्वास्थ्य आधारित नियमों द्वारा निर्धारित स्तर से भी ज्यादा पाई गई. मिट्टी में भी स्वास्थ्य आधारित दिशानिर्देश से ज्यादा जहरीले उच्च पदार्थ जैसे– सिलिका, निकिल, मैंगनीज और आर्सेनिक पाए गए. पानी के स्रोतों में उच्च स्तरों पर जहरीले रसायनों की उपस्थिति से इस क्षेत्र के जल जीवन के लिए खतरे का भी संकेत मिला.

नमूनों में मिले रसायन का प्रभाव-

  1. अलग-अलग क्षेत्र के चारों ओर से लिए गए नमूनों में 12 विषैली धातुएं जैसे, एल्यूमिनियम, आर्सेनिक, एंटीमनी, बोरॉन, कैडमियम, क्रोमियम, लीड, मैंगनीज, निकिल, सेलेनियम, जिंक और वेनेडियम पानी, मिट्टी और तलछट के नमूनों में मिलीं।
  2. 12 विषाक्त धातुओं में से 2 कार्सिनोजेन और 2 संभावित कार्सिनोजेन हैं। आर्सेनिक और कैडमियम कार्सिनोजेन्स (कार्सिनोजेन्स यानी जिससे कैंसर होता है) हैं, लेड और निकिल संभावित कार्सिनोजेन हैं|
  3. कई धातुओं में श्वसन संबंधी विकार, सांस की तकलीफ, फेफड़ों की क्षति, प्रजनन क्षति, जिगर और गुर्दा की क्षति, त्वचा पर चकत्ते, बालों के झड़ने, भंगुर हड्डियां, नकसीर, उल्टी, दस्त, पेट दर्द, मांसपेशियों और जोड़ों के दर्द और कमजोरी आदि का कारण होता है।
  4. इस क्षेत्र में रहने वाले मानव और जानवरों को एक बार में कई विषों और कार्सिनोजेन्स के संपर्क में आने के कारण बहुत ही नुकसान का खतरा है। ये जहरीले रसायन कई अंगों (जैसे- फेफड़े, गुर्दे) को प्रभावित करते हैं या हानिकारक प्रभाव डालते हैं (कैंसर, त्वचा की क्षति, प्रजनन प्रणाली को नुकसान)। यह स्पष्ट है कि एक ही समय में कई सारे जहरीले रसायनों के सम्पर्क में आते ही मानव, जानवर और पर्यावरण के लिए खतरा और भी बढ़ जाता है।
  5. कई रसायन जैव संचय (जैव संचयन कीटनाशकों जैसे पदार्थों का संचय, या जीव में अन्य रसायनों का संग्रह है) के लिए जाने जाते हैं, और खाद्य श्रृंखला को ऊपर ले जाते हैं।

कोयला विषाक्तता का स्वास्थ्य प्रभाव

एल्यूमिनियम (Al)- लम्बे समय तक इसकी पहुंच में रहने से फेफड़ो में दाग पड़ जाता है जिसमें कफ और सांस लेने में दिक्कत होने लगती है। ये शायद डिमेंशिया (मस्तिष्क की बीमारी जिसमें इंसान सब कुछ भूलने लगता है) से जुड़ा हुआ है|

 एंटीमनी (sb)- लम्बे समय तक एंटीमनी के सम्पर्क में रहने से अल्सर या हड्डियों (सेप्टम) में छेद, आन्तरिक नाक विभाजित और फेफड़ा स्थाई रूप से खराब हो जाता है| एंटीमनी महिला प्रजनन को हानि, लीवर, गुर्दे और ह्रदय को भी हानि पहुंचाता है|

आर्सेनिक (As)- आर्सेनिक से नर्वस (तंत्रिका) तंत्र को नुकसान, ह्दय सम्बन्धी परेशानी और मूत्रमार्ग का कैंसर होता है| आर्सेनिक को सांस द्वारा अंदर या त्वचा द्वारा ग्रहण करने से त्वचा और फेफड़ों का कैंसर होता है|

बोरॉन (B)- कम मात्रा में उपस्थित बोरोन में सांस लेने से नाक, गले और आंखों में जलन होती है। ज्यादा मात्रा ग्रहण करने से आंत, लीवर, गुर्दा, दिमाग और वृषण खराब हो जाता है और अंततः इन्सान की मृत्यु हो जाती है|

कैडमियम (Cd)-  कैडमियम से फेफड़ों का और प्रोस्‍टेट कैंसर होता है| इसके द्वारा प्रजनन तंत्र भी खराब हो जाता है। इसको ग्रहण करने से नकसीर या मितली, उल्टी, दस्त और पेट में दर्द पैदा होता है। इसकी  उपस्थिति में सांस लेने से फेफड़ों में जलन होती है।

क्रोमियम (Cr)- क्रोमियम को ग्रहण करने से पेट दर्द, आंत में अल्सर और पेट का कैंसर होता है। इसके लगातार अन्दर जाने से फेफड़ों का कैंसर, नाक और गले में खराश और घरघराहट व जलन होती है।

क्रोमियम से एक अस्थमा जैसा एलर्जी भी होती है। लम्बे समय तक इसकी पहुंच में रहने से हड्डियों (सेप्टम) में छेद या तकलीफ, आन्तरिक नाक विभाजित हो जाती है|

लेड या पारा (Pb)- इसकी पहुंच में रहने से दिमाग में सूजन, गुर्दे की बीमारी, ह्रदय सम्बन्धी परेशानी, तंत्रिका तंत्र में खराबी और अंत में मौत हो जाती है| यह स्वीकार किया गया है कि इसके बचाव का कोई सुरक्षित रास्ता नहीं है खासकर बच्चों के लिए|

मैंगनीज (Mn)- लम्बे समय तक इसके संपर्क में रहने से दिमाग को स्थाई रूप से हानि होती है| मैंगनीज की उपस्थिति में सांस लेने से नाक व गले में जलन और फेफड़ों में कफ, सांस में घरघराहट, सांस लेने में दिक्कत होती है| इससे लीवर व वृषण खराब हो जाते हैं और पुरुषों की प्रजनन क्षमता कम हो जाती है|

निकिल (Ni)- निकिल की उपस्थिति में सांस लेने से नाक, गले और फेफड़ों में जलन होती है| तीव्र सम्पर्क से नकसीर या मितली, उल्टी, और सिरदर्द होता है| निकिल ज्यादातर कैंसर जनित है, इससे फेफड़ों का कैंसर होता है| इसके कारण क्रोनिक ब्रोंकाइटिस और फेफड़ो में दाग होता है। इसके लम्बे प्रभाव से लीवर व गुर्दे खराब हो जाते हैं|

PM 2.5- व्यास (मोटाई) में 2.5 माइक्रोमीटर (पीएम 2.5) से कम कण को “महीन” कण कहा जाता है। ये कण फेफड़ों के अन्दर तक चले जाते हैं जिसके कारण समय से पहले ही मौत हो जाती है| इन कणों के कारण फेफड़ा, ह्रदय की बीमारी, फेफड़ों का काम करना बंद, अस्थमा का आक्रमण, दिल का दौरा और दिल की धड़कन में गडबड़ी हो जाती है|

सेलेनियम (Se)- सेलेनियम की उपस्थिति में सांस लेने में नाक व गले में जलन हो सकती है| फेफड़ों में कफ, गले में घरघराहट और सांस की कमी हो सकती है| इसके द्वारा नकसीर, मितली, उल्टी, पेट में दर्द, सिरदर्द और पेचिश हो सकती है| इसकी दोहरी पहुंच से सांस से अदरक जैसी गंध, जलन, बाल व नाखूनों का झड़ना, दांत की सड़न और मनोदशा में बदलाव (डिप्रेशन) होता है|

वेनेडियम (Va)- वेनेडियम की उपस्थिति से फेफड़ो में जलन होती है और दोहरी पहुंच में आने से      ब्रोंकाइटिस में खाँसी, कफ या सांस में तकलीफ का कारण हो सकती है।

वेनेडियम से अस्थमा टाइप की एलर्जी होती है| इसके संपर्क से श्वास की कमी, घरघराहट, खांसी और/या सीने में जकड़न हो सकती है। वेनेडियम गुर्दे और लीवर को खराब करता है| दुबारा पहुंच में आने से एनीमिया (खून की कमी) हो सकती है|

जिंक या जस्ता (Zn)- जिंक की उपस्थिति में सांस लेने में नाक व गले में जलन हो सकती है| गले में कफ व सांसो में घरघराहट होती है| जस्ता पुरुष प्रजनन प्रणाली (शुक्राणुओं सहित) को प्रभावित करता है।