दिल्ली स्थित पर्यावरण थिंक टैंक, इंटरनेशनल फोरम फॉर एनवायरनमेंट, सस्टेनेबिलिटी एंड टेक्नोलॉजी (iFOREST) ने अपनी रिपोर्ट ‘कोरबा: प्लानिंग ए जस्ट ट्रांजिशन फॉर इंडियाज बिगेस्ट कोल एंड पावर डिस्ट्रिक्ट’ को रायपुर में प्रस्तुत किया. 5 मई को रायपुर में जस्ट एनर्जी ट्रांजिशन पर एक उच्च स्तरीय कार्यशाला में छत्तीसगढ़ सरकार के सामने ये रिपोर्ट प्रस्तुत की गई.
रिपोर्ट के मुताबिक भारत के कई कोयला और बिजली उत्पादन वाले जिलों को 30 साल में ऊर्जा ट्रांजिशन चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा. बड़ी संख्या में कम उत्पादन और लाभहीन कोयला खदानों को देखते हुए, कोरबा जैसे कुछ शीर्ष कोयला जिलों को अगले दस साल के अंदर ट्रांजिशन चुनौतियों का सामना करना पड़ जाएगा.
20-25 साल में खत्म हो जाएंगे कोल खदान !
रिपोर्ट में कहा गया है कि जिले की बड़ी कोयला खदानें में अगले 20-25 साल में कोयला भंडार खत्म हो जाएगा. iFOREST के शोध में कहा गया है कि सामाजिक-आर्थिक व्यवधान से बचने के लिए, राज्य सरकार को कोरबा जैसे कोयला जिलों में विकास के हस्तक्षेप और आर्थिक पुनर्गठन के जरिए एक उचित परिवर्तन की योजना शुरू करने की आवश्यकता है.
रिपोर्ट को सरकार ने सराहा
iFOREST ने फरवरी, 2022 में इस रिपोर्ट को राष्ट्रीय स्तर पर जारी किया था. इस रिपोर्ट को कोयला मंत्रालय, नीति आयोग और छत्तीसगढ़ राज्य सरकार के प्रतिनिधियों ने सराहा था. 5 मई को कार्यशाला, रिपोर्ट के निष्कर्षों पर विस्तृत विचार-विमर्श पर आधारित थी और छत्तीसगढ़ में प्रमुख कोयला जिलों में जस्ट ट्रांजिशन के लिए एक रोडमैप तैयार करने की आवश्यकता पर ध्यान आकृष्ट किया गया.
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रिपोर्ट का निष्कर्ष
- 40% से अधिक आदिवासी आबादी के साथ कोरबा एक अनुसूची V जिला है. यह एक आकांक्षी जिला है जहां 41% लोग गरीबी रेखा से नीचे रहते हैं और जिले की 32% से अधिक आबादी स्वास्थ्य, शिक्षा और बुनियादी सुविधाओं तक सीमित पहुंच के साथ ‘बहुआयामी गरीब-‘multidimensionally poor’ ‘ है.
- यह नौकरियों और विकास के लिए कोयला उद्योग पर अत्यधिक निर्भर है. कोरबा के सकल घरेलू उत्पाद का 60% से ज्यादा और पांच में से एक रोजगार कोयला खनन
और कोयले से संबंधित उद्योगों से है. - कोयला केंद्रित अर्थव्यवस्था ने कृषि, वानिकी, विनिर्माण और सेवाओं सहित अन्य आर्थिक क्षेत्रों के विकास को रोक दिया है. खराब सामाजिक-आर्थिक स्थिति और कोयला अर्थव्यवस्था पर अत्यधिक निर्भरता के कारण जिला खदानों और उद्योगों के अनियोजित बंद होने से अत्यधिक संवेदनशील है.
- कोरबा में 13 चालू खदानें हैं. इनमे तीन ओपन कास्ट खानों में- दीपका, गेवरा, कुसमुंडा- 95% कोयले का उत्पादन करती हैं. आठ भूमिगत खदानें कम उत्पादन वाली हैं और लाभहीन हैं.
- कोरबा की कोयला खदानें 2050 तक और बिजली संयंत्र 2040 तक चरणबद्ध तरीके से खत्म हो रहे हैं. गेवरा और कुसमुंडा जैसी बड़ी खदानों का शेष जीवन 15 साल से कम है.
निष्कर्षों के आधार पर, रिपोर्ट ने कोरबा के लिए एक जस्ट ट्रांजिशन योजना ढांचा विकसित किया है, जो 5R के सिद्धांत पर आधारित है, और अन्य जिलों के लिए एक खाका हो सकता है.
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