सत्या राजपूत, रायपुर। ड्रॉपआउट छात्रों को लेकर कलेक्टर और जिला शिक्षा अधिकारी के मार्गदर्शन में निजी स्कूलों के संचालकों की समीक्षा बैठक मेडिकल कॉलेज हाल में हुई. बता दें कि प्रदेश में 900 प्राइवेट स्कूल में 2 लाख 80 हजार विद्यार्थी है. इनमें RTE के लगभग 1 एक लाख 50 हजार विद्यार्थी ड्रॉपआउट है. लल्लूराम डॉट कॉम ने इस मुद्दे को मुहिम बनाकर प्रकाशित किया था, जिसके बाद शिक्षा विभाग जागा.

हर ड्रापआउट बच्चों के पास जाएगी टीम
समीक्षा बैठक में कलेक्टर गौरव सिंह ने कहा कि आरटीई लागू करने का मकसद समझना होगा. आज की बैठक के बाद हर उस बच्चे के पास हमारी टीम जाएगी और बच्चे से पूछा जाएगा की उसने पढ़ाई क्यों छोड़ी है. ड्रापआउट छात्रों के परिवारों से मिलकर इसका कारण जानने के बाद आगे कार्रवाई की जाएगी. उन्होंने कहा कि हम में से कुछ लोग नियम कानून में गड़बड़ी करते हैंं. इस तरह के लोगों की पहचान करने की जरूरत है. बच्चे बार बार पढ़ाई क्यों छोड़ रहे हैं ऐसे स्कूल की समीक्षा होगी. पांच-पांच स्कूल की समाक्षी होगी हम अपनी तैयारी कर रहे हैं. जरूरत पड़ी तो बच्चे को परिवार को सामने खड़ा करेंगे. क्या बच्चा इलीट व्यवस्था में नहीं चल पाया.

आरटीई के सफल बच्चे की कहानी समाज के सामने लाएंगे

बैठक में कलेक्टर ने निजी स्कूलों से पूछा, किसने कहा था की स्कूल बंद कर दिए जाएंगे. आप लोगों की वजह से व्यवस्था पर सवाल उठाया गया? अखबारों और मीडिया में बहुत कुछ छापा गया. यदि आपके कारण व्यवस्था को नुक़सान होता है तो पूरे सिस्टम पर सवाल उठेगा. ऐसे में हर स्तर में कार्रवाई करेंगे. उन्होंने कहा कि एक मछली पूरे तालाब को गंदा करती है. ड्रापआउट का हिसाब तो लूंगा ही आप अच्छे मक़सद के साथ सुझाव भी दीजिए.


कलेक्टर ने कहा कि शिक्षा मेरे प्राथमिकता का विषयों में से एक है. हम आरटीई के सफल बच्चे की कहानी समाज के सामने लाएंगे. जिस स्कूल बीच में पढ़ाई छोड़ रहे उस स्कूल पर विशेष ध्यान दिया जाएगा. बता दें कि ड्रापआउट छात्रों को लेकर शिक्षा सचिव ने प्रदेश के सभी कलेक्टरों और डीईओ को दस दिन के अंदर 5 साल की रिपोर्ट मांगी है.