अनूप दुबे, कटनी (ढीमरखेड़ा)। मध्य प्रदेश में लल्लूराम डॉट कॉम की खबर का एक बार फिर बड़ा असर हुआ है। कटनी के ढीमरखेड़ा तहसील क्षेत्र के आदिवासी बाहुल्य ग्राम कोठी के सेहरा टोले मोहल्ले में आंगनबाड़ी केंद्र में बकरियों के साथ बच्चों का मिड डे मील खाने के मामले पर कलेक्टर आशीष तिवारी ने संज्ञान लिया है। साथ ही महिला एवं बाल विकास विभाग के अधिकारियों को जांच के निर्देश दिए हैं। परियोजना अधिकारी आरती यादव ने पर्यवेक्षक को नोटिस देकर मामले में जांच का आश्वासन दिया था। बता दें कि लल्लूराम डॉट कॉम ने ‘लापरवाही की हद है! मिड-डे मील में बच्चों के साथ बकरियां भी खा रही खाना’ शीर्षक के साथ खबर को सबसे पहले प्रकाशित किया था। 

अधिकारियों ने ली मामले की जानकारी

परियोजना अधिकारी आरती यादव के निर्देश पर शनिवार दोपहर पर्यवेक्षक अनीता प्रधान, भावना साहू और अंजना पटेल गांव पहुंचीं। उन्होंने ग्रामीणों से मामले की जानकारी ली और पंचनामा बनाया। रविवार छुट्टी के दिन भी परियोजना कार्यालय खुल रहा और प्रभारी जिला कार्यक्रम अधिकारी वन श्री कुर्वेती, परियोजना अधिकारी आरती यादव, बहोरीबंद परियोजना अधिकारी सतीश पटेल पर्यवेक्षक, अनीता प्रधान के गांव पहुंचकर ग्रामीणों से जानकारी ली। 

मकान मालिक ने पाल रखी थी बकरियां

बकरियों के साथ खाना खाने के मामले में जांच में ग्रामीणों ने बताया कि आंगनवाड़ी केंद्र का संचालन निजी भवन में किया जा रहा है। मकान मालिक ने बकरियां पाल रखी हैं जो पूरे घर में घूमती रहती हैं। बच्चों के खाना खाने के बाद थाली में बचे खाने को खा रही थी ,मकान मालिक ने केंद्र संचालन के समय बकरियों को बांधकर रखने की बात कही। अधिकारियों ने सेहरा टोला मोहल्ले में नया आंगनबाड़ी भवन बनाने के संबंध में प्रस्ताव लेकर स्वीकृति के लिए भेजने की बातें कहीं। वहीं केंद्र में लापरवाही के मामले में नवनियुक्त आंगनबाड़ी कार्यकर्ता मीना बैगा को सेहरा टोला में आंगनबाड़ी केंद्र संचालन के संबंध में निर्देश दिए। 

विभाग की लापरवाही का नतीजा भुगत रहे ग्रामीण

अधिकारियों की जांच के दौरान बड़ी संख्या में आदिवासी ग्रामीण मौजूद रहे। ग्रामीणों में चर्चा का विषय था कि विभाग की लापरवाही का खामियाजा आदिवासी भुगत रहे हैं और सरकार की छवि पर भी प्रभाव पड़ रहा है। ग्रामीणों ने बताया कि नेता और अधिकारी कहते हैं कि आदिवासियों के विकास के लिए सरकार के पास किसी प्रकार की कमी नहीं है। लेकिन यहां छोटे बच्चों को न ही आंगनबाड़ी केंद्र की सुविधा मिल रही है और न ही स्कूली बच्चों में पर्याप्त सुविधाएं हैं। स्कूल का हैंडपंप खराब होने के कारण बच्चों को आधा किलोमीटर दूर से पानी भी लाना पड़ रहा है। 

दूसरे जिलों से मुर्गी पालन सीखने कटनी आती हैं महिलाएं 

बता दें कि कटनी जिले में सबसे अधिक बैगा समाज के लोग कोठी में निवासरत हैं। यहां के आदिवासियों के संगठन की चर्चा पूरे प्रदेश में थी। महिलाओं ने यहां शराबबंदी की थी। यहां की महिलाओं का मुर्गी पालन सफल होने के बाद दूसरे जिलों से महिलाएं मुर्गी पालन का काम सीखने आती हैं। आदिवासी समाज की मिसाल देने वाले गांव में भी विकास के लिए ग्रामीणों को भटकना पड़ रहा है। 

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