नई दिल्ली। ऊंची चोटी सियाचिन पर भारत की पकड़ बनाए रखने में अहम रोल निभाने वाले अदम्य साहस के प्रतीक कर्नल नरेंद्र ‘बुल’ कुमार का गुरुवार को निधन हो गया. वह 87 साल के थे. उनकी रिपोर्ट पर ही सेना ने 13 अप्रैल 1984 को ‘ऑपरेशन मेघदूत’ चलाकर सियाचिन पर कब्जा बरकरार रखा था. यह दुनिया की सबसे ऊंचे युद्ध क्षेत्र में पहली लड़ाई थी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनके निधन को देश के लिए अपूरणीय क्षति बताया है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर लिखा कि  एक अपूरणीय क्षति! कर्नल नरेंद्र ‘बुल’ कुमार (सेवानिवृत्त) ने असाधारण साहस और परिश्रम के साथ राष्ट्र की सेवा की. पहाड़ों के साथ उनका विशेष बंधन याद किया जाएगा. उनके परिवार और शुभचिंतकों के प्रति संवेदना. ओम शांति.

कर्नल बुल 1965 में भारत की पहली एवरेस्ट विजेता टीम के उपप्रमुख थे. उन्हें परम विशिष्ट सेवा मेडल, अति विशिष्ट सेवा मेडल और कीर्ति चक्र जैसे सैन्य सम्मान के अलावा पद्मश्री तथा अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया गया था.

बता दें कि कर्नल बुल की रिपोर्ट्स के आधार पर ही तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने भारतीय सेना को ऑपरेशन मेघदूत चलाने की अनुमति दी थी. इसके बाद ही भारतीय सेना सियाचीन पर कब्जा करने के उद्देश्य से आगे बढ़ी. अगर यह ऑपरेशन नहीं होता तो पूरा सियाचीन पाकिस्तान के कब्जे में चला जाता.