Colonel Sophia Qureshi Father: पहलगाम हमले का भारत ने बदला ले लिया। इंडियन आर्मी (indian army) ने 6 मई की रात डेढ़ बजे पहलगाम के गुनहगारों के ठिकानों को तबाह कर दिया। ऑपरेशन सिंदूर (Operation Sindoor) के तहत भारत ने पाकिस्तान के अंदर और PoK में आंतकी सरगना मसूद अजहर समेत 9 आतंकी ठिकानों को नेस्तानाबूत कर दिए। भारत की उपलब्धि की जानकारी जब भारतीय सेना की ओर से कर्नल सोफिया कुरैशी (Sofia Qureshi) और और विंग कमांडर व्योमिका सिंह (Wing Commander Vyomika Singh) देने लिए आईं तो देश के हर नागरिक का सीना गर्व से चौड़ा हो गया। दोनों महिला अधिकारियों ने भारतीय सेना की ताकत और पराक्रम को दुनिया के सामने रखा। इसके बाद व्योमिका सिंह और सोफिया कुरैशी सोसल मीडिया सनसनी बन गईं। लोगों ने सोशल मीडिया परदोनों की जमकर तारीफ की।
गुजरात के वड़ोदरा में उनके पिता भी ये देखकर खुशी से फूले नहीं समा रहे थे। न्यूज एजेंसी से बात करते हुए कर्नल सोफिया कुरैशी के पिता ताज मोहम्मद कुरैशी ने कहा कि हमें हमारी लड़की पर गर्व है। उसने देश के लिए कुछ किया। ताज मोहम्मद ने बताया कि बांग्लादेश के मुक्ति संग्राम के समय उन्होंने भी जंग लड़ी थी। 70 बसंत पार कर चुके मोहम्मद कुरैशी ने कहा कि अब भी मन में यही आता है कि हमको मौक जाए तो उनको (पाकिस्तान) जाकर खत्म कर दूं। पाकिस्तान दुनिया के अंदर रहने लायक कंट्री नहीं है।
कुरैशी ने बताया कि आर्मी में जाना उनके परिवार की परंपरा रही है। उनके पिता और दादा आर्मी में थे। इसके बाद उन्होंने भी सेना की वर्दी पहनी और अब बेटी इस परंपरा को आगे बढ़ा रही है। उनके पिता ताजुद्दीन कुरैशी आगे कहते हैं कि हम सिर्फ देश के बारे में सोचते हैं। हमारी सोच ‘वयम् राष्ट्रे जाग्रयाम’ की है – हम पहले भारतीय हैं, फिर कुछ और।
प्रोफेसर बनने का सपना देखा किस्मत ने देश सेवा में लाया
वडोदरा की रहने वाली कर्नल सोफिया ने कभी प्रोफेसर बनने का सपना देखा था, लेकिन देशभक्ति के जज्बे ने उन्हें सेना की वर्दी पहनने के लिए प्रेरित किया। उनके भाई मोहम्मद संजय कुरैशी ने बताया कि सोफिया पीएचडी पूरी करने ही वाली थीं, तभी उन्होंने भारतीय सेना जॉइन करने का फैसला किया।
कौन हैं कर्नल सोफिया कुरैशी?
सोफिया कुरैश ने मार्च 2016 में, तत्कालीन लेफ्टिनेंट कर्नल सोफिया कुरैशी ने बहुराष्ट्रीय अभ्यास में सेना की टुकड़ी का नेतृत्व किया, जिसमें 18 देशों ने भाग लिया था। यह अभ्यास पुणे में हुआ था और इसमें चीन, जापान, रूस, अमेरिका, दक्षिण कोरिया, न्यूजीलैंड, ऑस्ट्रेलिया जैसे शक्तिशाली देश शामिल थे। लेफ्टिनेंट कर्नल कुरैशी एकमात्र महिला अधिकारी थीं, जिन्होंने इस अभ्यास में किसी दल का नेतृत्व किया। वे शांति स्थापना अभियानों में भी सक्रिय रही हैं। 2006 में, उन्होंने कांगो में संयुक्त राष्ट्र शांति मिशन में सैन्य पर्यवेक्षक के रूप में काम किया और 2010 से शांति ऑपरेशंस में जुड़ी रही हैं।
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ऐसे बनाई पहचान
गुजरात सरकार के अनुसार, कर्नल सोफिया ने 1997 में मास्टर्स किया और सेना के सिग्नल कोर में शामिल हुईं। 2016 में उन्होंने इतिहास रचते हुए ‘फोर्स 18’ नामक बहुराष्ट्रीय सैन्य अभ्यास में भारतीय सैन्य दल की कमान संभाली। ऐसा करने वाली वह पहली महिला अधिकारी बनीं। 2006 में वह संयुक्त राष्ट्र के पीसकीपिंग मिशन के तहत कांगो में भी तैनात रह चुकी हैं।
सेना के अधिकारी हैं सोफिया कुरैशी के पति
थलसेना के सिग्नल कोर से ताल्लुक रखने वाली कर्नल सोफिया का आर्मी से पुराना नाता रहा है। कर्नल सोफिया के पति ताजुद्दीन कुरैशी तो सेना के अधिकारी हैं ही, उनके दादा भी सेना में रह चुके हैं। कर्नल सोफिया के पति, सेना की मैकेनाइज्ड इन्फेंट्री से ताल्लुक रखते हैं और इनदिनों फ्रंटलाइन पर एक यूनिट को कमांड कर रहे हैं।
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