शैलेन्द्र गुप्ता, सोनहत। कोरिया वन मंडल की सराहनीय पहल आज पूरे प्रदेश के लोगों के लिए मिसाल बनी हुई है. यहां बांस के उत्पादों के माध्यम से युवाओं को रोज़गार से जोड़ा जा रहा है. सोनहत के एक छोटे से गांव आनंदपुर नर्सरी में युवाओं का बांस के नए-नए उत्पाद बनाने का जुनून काबिले तारीफ है. बांस से तैयार किए जा रहे घरेलू साज-सज्जा व दैनिक उपयोगी वस्तुएं देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि यहां के हुनरबाज किस तरह से इस व्यवसाय को गति दे सकते हैं.

आनंदपुर नर्सरी में युवा वर्ग इस कार्य में कार्यरत है. जिनके द्वारा मनमोहक साज्य सज्जा की वस्तुएँ जैसे  फ्लावर पार्ट ,कुर्शी, टेबल, मोबाईल स्टैंड, जैसे कई सामानों का निर्माण किया गया है. बांस से बने सामान वास्तव में इको फ्रेंडली होते हैं. इसे प्लास्टिक के विकल्प के रूप में भी देखा जा रहा है. यही वजह है कि प्रदेश में बांस से बने सामानों की मांग में तेजी से वृद्धि हो रही है.

ये व्यवसाय स्थानीय लोगों को रोजगार से जोड़ने में मददगार साबित हो सकता है. इस व्यवसाय से क्षेत्र के युवा आत्मनिर्भर हो सकते हैं,  साथ ही रोज़ी-रोटी की तलाश में बाहर जाने वाले युवाओं के पलायन में भी कमी आ सकती है.वर्तमान में नर्सरी में 20 युवा कार्यरत हैं. जो नेट के माध्यम से सीखकर बांस के बम्बू से अच्छे से अच्छा दैनिक उपयोग का सामान तैयार कर रहे हैं. यहां से निर्मित सामान स्थानीय लोगों के लिए भी चर्चा का विषय बना हुआ है.

वहीं हिना खलखो महिला समूह अध्यक्ष  ने बताया कि कड़ी मेहनत से बांस के बम्बू को आकार दे कर साज- सज्जा की वस्तुएं तैयार की जा रही है.  पूर्व में आसाम के प्रशिक्षुओं द्वारा प्रशिक्षण दिया गया था. आज हम  यू ट्यूब के जरिये भी अनेको आइटम बांस से तैयार कर रहे जिसमे कोरिया वन मंडल का पूरा सहयोग मिल रहा है. जल्द ही जिला मुख्यालय में दुकान खोलकर बिक्री की जाएगी. आज समूह 20 सदस्यों में काम कर रहा है. मार्केट में आने के बाद मांग बढ़ेगी. जिसके कारण और लोगो को जोड़ कर रोजगार भी मुहैया कराया जाएगा. वही प्लास्टिक प्रतिबंध होने से इ सामान की मांग बाजार में बढ़ेगी.

जानकारी के मुताबिक अब जल्द ही कोरिया वन मंडल के द्वारा जिला मुख्यालय में दुकान खोल कर इन वस्तुओं का विक्रय किया जाएगा जो छतीसगढ़ में जिले को एक नई पहचान दे सकेगा.