पुरुषोत्तम पात्र, गरियाबन्द। नियम को ताक में रख कर डीईओ द्वारा नियुक्त बीईओ को हटाकर छुरा विकासखण्ड में कमिश्नर ने नए बीईओ की नियुक्त कर दिया. आदेश के बाद बीईओ ने नए बीईओ का स्वागत भी किया, लेकिन चार्ज नहीं दिया. पूरा वाकया जिले में चर्चा का विषय बना हुआ है.

डीईओ भोपाल टांडे ने सितम्बर माह में गरियाबंद विकासखण्ड के प्रधान पाठक शिव कुमार नागे को नियम कायदे को ताक में रखकर बीईओ नियुक्त कर दिया था.मामला कमिश्नर जीआर चुरेन्द्र के संज्ञान में आया तो उन्होंने नागे की नियुक्ति निरस्त करते हुए 7 दिसम्बर को व्याख्याता रामनाथ साहू को बीईओ नियुक्त कर दिया.

9 दिसम्बर को साहू ने कार्यालय पहुंचकर ज्वाइन भी किया, इस दौरान पुराने बीईओ शिव नागे ने बाकायदा स्वागत कर कुर्सी में बिठाया, लेकिन वित्तीय चार्ज अब तक नहीं दिया है. यहां तक दफ्तर को 14 दिसम्बर से ताला लगाकर खुद भी गायब हो गया. नव नियुक्त बीईओ आरएन साहू ने 17 दिसम्बर को तत्कालीन बीईओ नागे की इस हरकत की लिखित जानकारी डीईओ को भी दिया है.

कुर्सी के इस किस्से में विभाग के जिला अधिकारी की भूमिका व दफ्तर के ताला बन्दी की चर्चा अब जमकर है. आरएन साहू ने बताया कि प्रशासकीय नियुक्ति हो गई, लेकिन नागे के वित्तीय प्रभार नहीं देने के कारण शिक्षकों का तनख्वाह रुक गया है. साहू ने बताया कि डीईओ ने भी समस्त प्रभार देने लिखित आदेश जारी कर दिया है, फिर भी नागे द्वारा अब तक चार्ज नहीं दिया है. सोमवार तक इंतजार करुंगा. नहीं होने पर कलेक्टर, कमिश्नर को पत्र देकर मामले से अवगत कराऊंगा.

डीईओ की भूमिका पर इसलिए सवाल उठ रहे हैं, क्योंकि शिव कुमार नागे गरियाबंद विकासखण्ड के मिडिल स्कूल का प्रधान पाठक है. नियानुसार मिडिल के प्रधान पाठक को बीईओ नहीं बनाया जा सकता. दूसरे विकासखण्ड का तो बिल्कुल भी नहीं, फिर भी डीईओ भोपाल टांडे ने बीईओ बना दिया रहा.

बताया जा रहा है कि कमिश्नर द्वारा नियोक्ति के बारे विभागीय स्तर पर लिखित पत्राचार करवाने बीईओ आरएन साहू द्वारा 12 दिसम्बर से डीईओ ऑफिस का चक्कर लगाया जा रहा था, पर गुरुवार शाम को 17 दिसम्बर को समस्त प्रभार देने संबंधी आदेश जारी किया गया. शुक्रवार घासीदास जयंती की छुट्टी पड़ी, सेकंड सैटर्डे को दफ्तर बन्द होने के बाद फिर रविवार की छुट्टी मिलाकर मामला 3 दिन के लिए ओर आगे बढ़ा दिया गया.

बताया जा रहा है कि कमिश्नर के आदेश पर रोक लगाने नागे कोर्ट का चक्कर लगा रहे हैं, इसलिए पहले से ही नागे पर मेहरबान डीईओ किसी न किसी तरह बहाने कर समय कटवा रहे हैं, जिससे कोर्ट में नागे को सफलता मिल जाये. मामले में शिव कुमार नागे व डीईओ भोपाल टांडे से बात करने कई मर्तबा फोन किया गया, लेकिन दोनों ने कोल रिसीव नहीं किया.