दिल्ली. गुजरात में सदियों पुरानी परंपरा है कि मकरसंक्रांति के दिन आकाश में पतंग उड़ाई जाए. मकरसंक्रांति के दिन पूरा गुजरात छत पर होता है और पतंग उड़ाने का मजा लेता है. हालांकि भले ही ये एक दिन का ही पर्व हो लेकिन इससे हजारों लोगों को साल भर रोजगार मिलता है और आज गुजरात का पतंग उद्योग सालाना 1200 से 1500 करोड़ रुपये का हो गया है. बड़ी बड़ी कंपनियां भी पतंग के जरिए मार्केटिंग भी करती है. गुजरात में रोजगार देने के मामले में पतंग एक बड़ा माध्यम बन गया है.

सुबह से लेकर देर रात तक गीत संगीत के साथ मकरसंक्रांति का पर्व पतंग के संग मनाते हैं. ये सदियों पुरानी परंपरा है और आज तो आलम ये है कि मारुति, अल्ट्राटेक सीमेंट, कोरोमंडल, सांघी सीमेंट जैसी कंपनियां पतंग को ही माध्यम बनाकर मार्केटिंग के जरिए ग्राहकों को अपने साथ जोड़ रही हैं. इन कंपनियों ने हजारों की तादाद में अपने लोगो वाली पतंगें बाजार में उतारी हैं.

सांघी इंडस्ट्रीज के वाइस प्रेजिडेंट शैलेश झा ने बताया, ‘जब से हमारी कंपनी शुरू हुई है तब से हम पतंग के जरिए मार्केटिंग कर रहे है और इस बार डिजिटल कॉन्टेस्ट के जरिए पतंग दे रहे है.’ हर छोटी बड़ी कंपनी अपने पुराने ग्राहकों को बरकरार रखने के लिए और नए ग्राहकों को जोड़ने के लिए अपने लोगो वाली पतंग फ्री में देती हैं और इसके कारण सिर्फ के दिन के त्यौहार के लिए 10 महीने पतंग बनाने का काम चलता है.

पतंग बनाने का कारोबार पूरी तरह गृह उद्योग पर आधारित है. अकेले अहमदाबाद में 35000 मुस्लिम परिवार साल भर पतंग बनाकर कमाई करते हैं. आज गुजरात का सालाना पतंग का कारोबार 1200 से 1500 करोड़ रुपये के पार हो गया है. कारोबार रोजगार के साथ सामाजिक समरसता है का प्रतीक भी बन गया है पतंग का त्योहार.

नरेंद्र मोदी जब गुजरात के मुख्यमंत्री थे तब से आज तक मकरसंक्रांति के 10 दिन पहले ‘इंटरनेशनल काइट फेस्टिवेल’ शुरू हो जाता है. इस बार 45 देशों से पतंगबाज आये हैं, जो अहमदाबाद समेत राज्य के कई शहरों में काइट फेस्टिवल में जाते हैं. पतंग गुजरात की पहचान बना है और रोजगार का उत्तम जरिया भी. इस बार मोदी, राहुल गांधी, स्टेच्यू ऑफ यूनिटी के फोटो के साथ भी पतंग बनी हैं.

पतंग बनाने वाले मन्सूर भाई ने बताया, ‘मैं पिछले 45 साल से पतंग बना रहा हूं. अकेले अहमदाबाद में 35000 मुस्लिम परिवार सालभर पतंग बनाते हैं.’ हर साल गुजरात का पतंग का कारोबार 15% से 20% की दर से बढ़ता है. अभी अहमदबाद में 35000 और पूरे गुजरात में करीब एक लाख से अधिक परिवार पतंग के कारोबार से अपना घर चलाते हैं.