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अमित पांडेय, खैरागढ़. देश में जलाशय का निर्माण किसानों को फायदा पहुंचाने के लिए किया जाता है, लेकिन बड़े बांध बनाने के लिए बड़ी जमीन की जरूरत को भी नजर अंदाज नहीं किया जा सकता. बड़े जंगल और कई किसानों की जमीन अधिग्रहित की जाती है. अधिग्रहण का उचित मुआवजा भी दिया जाता है. ऐसा ही एक बांध 1988 में ग्राम उरईडबरी में बनाया गया, जिसके लिए किसानों को उनकी जमीन का मुआवजा आज तक नहीं मिला.
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खैरागढ़ जिले के ग्राम परसबोड और उरईडबरी के किसान अपनी डुबान खेती की जमीन के मुआवजे के लिए सालों से शासन-प्रशासन के दरवाजे खटखटा रहे हैं, परंतु अब तक उन्हें किसी भी तरह की सहायता नहीं मिली है. एक बार फिर क्षेत्र के किसान खैरागढ़ जिला कलेक्टर कार्यालय पहुंचे और अपनी समस्या को लेकर एडीएम प्रेम कुमार पटेल को ज्ञापन सौंपा.
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बांध का आकार बढ़ने डुबान क्षेत्र में आ रहे किसानों के खेत
पीड़ित किसान नीलेश्वर साहू की माने तो 1988-89 में बने इस बांध में क्षेत्र के किसानों की जमीन लगातार डूबती जा रही है और लगातार बांध का आकार बढ़ने से किसानों का खेत भी डुबाना क्षेत्र में आ रहा है. इसमें अब लगभग 250 एकड़ जमीन किसानों का डुबान क्षेत्र में आ गया है. इस किसानों को जल्द से जल्द मुआवजा दिलाने की मांग कलेक्टर से की गई है.
जांच के बाद आगे की कार्यवाही की जाएगी : एडीएम
इस मामले में एडीएम प्रेम कुमार पटेल ने कहा कि क्षेत्र में बने इस जलाशय को लेकर किसानों के जमीन का अधिग्रहण 1988-89 में किया गया था. इसे लेकर किसानों की मांग है कि उन्हें अब तक अधिग्रहण की गई जमीन का मुआवजा नहीं मिला है. पूर्व में दिए गए आवेदनों एवं दस्तावेजों की जांच अनुभागीय अधिकारी से कराई जाएगी. इसके बाद जांच रिपोर्ट के आधार पर आगे की कार्यवाही की जाएगी.
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