सत्यपाल सिंह राजपूत, रायपुर। फीस को लेकर निजी स्कूलों द्वारा जारी किये गए फरमान के खिलाफ पैरेंट्स एसोसिएशन सड़क पर उतर कर मनमानी के खिलाफ अपना विरोध प्रदर्शन किया।

पैरेंट एसोसिएशन ने जिला शिक्षा अधिकारी के साथ ही बाल आयोग को ज्ञापन सौंप निजी स्कूलों के आदेश का विरोध किया है। निजी स्कूलों ने फीस ना पटाऩे की स्थिति में बच्चों की ऑनलाइन पढ़ाई रोकने की धमकी दी थी।

पैरेंट एसोसियेशन के अध्यक्ष क्रीस्टोफर पॉल ने कहा कि प्रायवेट स्कूल मैनेजमेंट एसोसिएशन ने 9 जुलाई को उच्च न्यायालय के आदेश को गलत ढंग से परिभाषित कर बच्चों को ऑनलाईन क्लासेस से वंचित कर देने की धमकी देकर दबावपूर्वक फीस वसूलने का प्रयास कर रहा है। जो उच्च न्यायालय बिलासपुर के निर्णय के साथ ही निःशुल्क और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 की धारा 16 का स्पष्ट उल्लघंन है।

उऩ्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ प्रायवेट स्कूल मैनेजमेंट एसोसिएशन द्वारा इस प्रकार की धमकी-चमकी से जिले में कानून व्यवस्था बिगड़ सकती है। शिक्षा बच्चो का मौलिक अधिकार है, कोई भी प्रायवेट स्कूल किसी भी प्रवेशित बच्चे को किसी भी परिस्थिति में शिक्षा से वंचित नही कर सकता है। यदि कोई भी प्रायवेट स्कूल बच्चों को किसी भी प्रकार से जानबूझकर प्रताड़ित करता है, जानबूझकर अनावश्यक मानसिक कष्ट देता है, किसी प्रकार से जानबूझकर उसकी उपेक्षा करता है तो यह किशोर न्याय बालकों की देखरेख और संरक्षण अधिनियम 2015 अधिनियम क्रमांक 2 सन् 2016 की धारा 75 और 86 के अंतर्गत गंभीर प्रवृति का अपराध है।