रायपुर- उदंती सीतानदी टाइगर रिजर्व में मिली बाघ की खाल ओडिशा के बाघ की नहीं है, बल्कि दावा किया जा रहा है कि बाघ की यह खाल उदंती सीतानदी टाइगर रिजर्व की अकेली बची बाघ की खाल है. रायपुर निवासी नितिन सिंघवी ने जुलाई 2017 से पहले टाइगर रिजर्व में ली गई बाघ की तस्वीर के आधार पर यह दावा किया है. उन्होंने तस्वीर एनटीसीए को भेजकर पूरे मामले की शिकायत दर्ज कराई है.
नितिन सिंघवी ने एनटीसीए को भेजी गई अपनी शिकायत में कहा है कि बाघ की तस्वीर और बरामद खाल की धारियां स्पष्ट करती हैं कि बाघ और खाल दोनों में धारियां एक समान है. बाघ उदंती सीतानदी टाइगर रिजर्व का ही रहवासी रहा है. सिंघवी ने अपनी शिकायत में बरामद खाल की तस्वीर भी एनटीसीए को भेजी है. उन्होंने कहा है कि वन महकमे के पास भी यह तस्वीर मौजूद हैं. जिसके आधार पर सत्यता प्रमाणित की जा सकती है.
सिंघवी ने अपनी शिकायत में बताया है कि साल 2006 से 2017 के बीच मध्य दक्षिण छत्तीसगढ़ जिसमें उदंती सीतानदी टाइगर रिजर्व और कांकेर का हिस्सा भी आता है, वहां लगभग 15 बाघों की खाल बरामद की गई है, जो यह बताता है कि क्षेत्र में बाघों का अवैध शिकार लगातार होता रहा है. उन्होंने कहा है कि टाइगर रिजर्व में साल 2014 में भी एक बाघ की खाल बरामद हो चुकी है.
शिकायतकर्ता नितिन सिंघवी ने एनटीसीए से कहा है कि उदंती सीतानदी टाइगर रिजर्व में जिस बाघ की खाल दो महीने पहले मिली है, उस बाघ का शिकार जुलाई 2017 के पहले किया गया था. बाघ को दो गोलियां मारी गई थी. सिंघवी ने इसके लिए वन विभाग को जिम्मेदार माना है. उन्होंने पूछा है कि इस घटना के बाद भी विभाग जागरूक क्यों नहीं हुआ ? बाघ के शिकार की जानकारी आखिर विभाग को क्यों नहीं मिली ?
बाघ के शिकार की निष्पक्ष जांच की मांग करते हुए उन्होंने कहा है कि जिस क्षेत्र में शिकार किया गया, उस क्षेत्र में एक बाघिन भी विचरण कर रही है. लिहाजा उसकी रक्षा की जाए. सिंघवी ने कहा है कि वन विभाग के तमाम दावों के बीच उदंती में अब केवल एक ही बाघिन रह गई है.