नई दिल्ली . दिल्ली उच्च न्यायालय ने गुरुवार को शहर में तेजाब की बिक्री पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने से इनकार कर दिया. उच्च न्यायालय ने कहा कि इससे उन कारोबारों तथा लोगों पर प्रतिकूल असर पड़ सकता है जिन्हें वैध उद्देश्यों के लिए इसकी जरूरत पड़ती है.

उच्च न्यायालय ने दिल्ली सरकार को तेजाब की बिक्री के लिए मौजूदा नियमों तथा नियमनों को सख्ती से लागू करने तथा अपराध के लिए इसके दुरुपयोग को रोकने का निर्देश दिया. उच्च न्यायालय ने कहा कि नियमों का पालन न किए जाने या तेजाब की गैरकानूनी बिक्री के मामलों में प्राधिकारियों को अपराधियों के खिलाफ त्वरित तथा निर्णायक कार्रवाई करनी चाहिए. इसने कहा कि तेजाब की गैरकानूनी बिक्री या दुरुपयोग में शामिल पाए जाने वाले लोगों पर सख्त जुर्माना लगाकर राज्य प्राधिकारी प्रभावी तरीके से इससे निपट सकते हैं.

नियमों पर सख्ती से अमल जरूरी

दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि इस मुद्दे पर लगातार सतर्कता तथा प्रभावी कदम उठाने की आवश्यकता है. उन्होंने कहा कि एक नियामक तंत्र मौजूद है, लेकिन हमें लगता है कि और कदम उठाए जाने की आवश्यकता है. दिल्ली जहर कब्जा और बिक्री नियम 2015 में ऐसे प्रावधान हैं, जिसमें तेजाब की बिक्री ऐसे विक्रेताओं को करने की इजाजत दी गई है, जिन्हें प्राधिकरण ने लाइसेंस दिया है. लाइसेंस केवल उन आवेदकों को दिया जाता है जो निर्धारित प्रावधानों का अनुपालन करते हैं. दिल्ली हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति संजीव नरुला की पीठ ने कहा, ‘‘इन प्रावधानों को सख्ती से लागू किया जाना चाहिए और राज्य को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि तेजाब अपराधियों के हाथों में न जाए. साल 2015 के नियमों को हटाने या पूर्ण प्रतिबंध लगाने का निर्देश देने के बजाय, हम दिल्ली सरकार को मौजूदा कानूनी रूपरेखा का उचित क्रियान्वयन सुनिश्चित करने का निर्देश देते हैं.’’

इस मुद्दे पर लगातार सतर्कता तथा अति सक्रिय कदम उठाने की आवश्यकता है. एक नियामक तंत्र मौजूद है लेकिन पीठ को लगता है कि और कदम उठाए जाने की आवश्यकता है. यह आदेश तेजाब हमले की पीड़िता की याचिका पर आया है जो ऐसे पीड़ितों की देखभाल और मुआवजा दिलाने में सक्रिय रूप से शामिल हैं.