पुरुषोत्तम पात्र, गरियाबंद। उरमाल-मोहेरा मार्ग पर बने उच्च स्तरीय पुल का पक्की एप्रोच सड़क बारिश से पहले ही कई जगह से उखड़ने लगी है. इंजीनियर को पता नहीं और मरम्मत हो गया. वहीं एसडीओ का कहना है कि बड़े काम में छोटी-छोटी बातें होती रहती है. इसे भी पढ़ें : विधायक जी के गृह ग्राम का यह हाल, गांव के दर्जनभर से ज्यादा हैंडपंप गर्मी में दे गए धोखा, जाएं तो जाएं कहां…

उरमाल से ओडिसा के नवरंगपुर जिले को जोड़ने तेल नदी के मोहेरा घाट पर उच्च स्तरीय पुल का निर्माण किया गया है. उरमाल की ओर पुल को जोड़ने 641 मीटर लंबी एप्रोच सड़क का काम माह भर पहले ही पूरा किया गया था. लेकिन राज्य मार्ग के मापदंड पर बनी यह अप्रोच रोड बे मौसम बरसात का पानी भी नहीं झेल सकी.

पखवाड़े भर पहले हुए बारिश के बाद सड़क की मिट्टी दबने लगी, यही नहीं सड़क कई जगहों से उखड़ भी गई. गारंटी पीरियड में कार्य होने के कारण ठेका कंपनी ने आनन-फानन में गड्ढे की मरम्मत भी कर दी. लेकिन बनने के महीने भर के भीतर उखड़ रही सड़क ने निर्माण कार्य में बरती गई लापरवाही की कलई खोल कर रख दी है.

साइड इंजीनियर को गड्ढों का पता ही नहीं

विभाग के साइट इंजीनियर अरविंद गौतम सड़क उखड़ने की बात से अनभिज्ञता जाहिर करते हुए बताया कि वे महीनेभर पहले एरिया विजिट किए थे. वहीं सड़कों पर हुए गढ्ढे की पुष्टि करते हुए एसडीओ एसके पंडोले ने कहा कि दो दिन पहले ही मरम्मत कर दिया गया है. लापरवाही की बात को सिरे से खारिज करते हुए उन्होंने कहा कि बड़े-बड़े काम में छोटी-मोटी गलती मायने नहीं रखती.

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मिट्टी-कांपेक्शन के खेल में फेल हुआ निर्माण

जानकार बताते हैं कि ऐसी नौबत तभी आती है जब सड़क निर्माण के समय तय मात्रा में मिट्टी नहीं डाला जाता, न ही उसे पर्याप्त पानी डाल कर वाइब्रो रोलर से कांपेकशन किया जाता है. इन परिस्थिति में वाहन के दबाव व कम बारिश के बावजूद सड़के धंसने लगती है. जानकारों का दावा है कि उक्त सड़क पहली बारिश भी नहीं झेल पाएगी.

दो साल से ज्यादा अवधि का लिया एक्टेंशन

लोक निर्माण विभाग के सेतु शाखा द्वारा कराए जा रहे इस कार्य का कार्यादेश 30 मार्च 2020 को जारी हुआ था. पवन कुमार अग्रवाल फर्म से इसका अनुबंध हुआ. 2021 में कोरोना काल के दौरान दो साल का अतिरिक्त समय मिल गया. काम में एप्रोच व पुल निर्माण का कार्य अभी पूरा नहीं हुआ है. निर्माण कार्य चल ही रहा है. कार्य में विलंब होने के कारण बढ़े हुए मैटेरियल रेट के चलते इसके लागत में भी वृद्धि हो गई. शायद यही वजह है कि विभाग कार्य के गुणवत्ता के साथ समझौता कर लिया है.