कुमार इन्दर, जबलपुर। जबलपुर शहर के साथ प्रदेश में भले ही कोरोना की चैन टूटते नजर आ रही हो, लेकिन जिले में ब्लैक फंगस के इंजेक्शन और दवा की कमी ने एक बार फिर से ब्लैक फंगस के मरीजों की परेशानी बढ़ा दी है. जिले में ब्लैक फंगस के 70 से 80 मरीज अस्पतालों में भर्ती है, लेकिन दवा न मिलने के कारण उनकी हालत नाजुक होते जा रही है.

75 से 80 ब्लैक फंगस के हैं मरीज

दरअसल, इन दिनों जबलपुर में ब्लैक फंगस की दवा को लेकर किल्लत होने लगी है. जिसका खामियाजा मरीजों को भुगतना पड़ रहा है. जबलपुर मेडिकल कॉलेज समेत जिले के निजी अस्पताल को मिलाकर जिले में करीब 75 से 80 ब्लैक फंगस के मरीज भर्ती हैं. लेकिन ब्लैक फंगस के इंजेक्शन एम्फोटेरिसिन-बी और कुछ दवाओं की कमी के चलते मरीजों की हालत बिगड़ रही है. संभाग के सबसे बड़े मेडिकल कॉलेज में ही इंजेक्शन न मिलने से यहां के मरीजों की हालत और ज्यादा क्रिटिकल हो रहे हैं.

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इंजेक्शन की भारी कमी

दवाई की मारामारी का आलम यह है कि पिछले दिनों मेडिकल अस्पताल में भर्ती मरीज के परिजनों को इंजेक्शन के लिए कुलपति को ज्ञापन तक सौंपा. वहीं जबलपुर के रीजनल हेल्थ डायरेक्टर संजय मिश्रा मिश्रा ने कहा कि ब्लैक फंगस के इंजेक्शन और दवाओं में कमी आई है. जिसके चलते मरीजों को परेशानी का सामना उठाना पड़ रहा है. हालांकि डॉ संजय मिश्रा कहते हैं कि उनकी कोशिश है कि मरीजों को दवाइयों की कमी न पड़े इसके लिए स्वास्थ्य विभाग के सारे प्रयास जारी हैं.

मरीजों की हालत नाजुक

वहीं मेडिकल कॉलेज में ईएनटी विभाग के स्पेशलिस्ट डॉक्टर कविता सचदेवा कहती हैं कि वह पिछले 3 महीनों से बीमारी से निपटने की हर संभव कोशिश कर रही हैं. उन्होंने अब तक कई मरीजों को ठीक कर के घर भी भेज दिया है, लेकिन कुछ मरीजों की हालत जरूर बीच-बीच में खराब हो रही हैं.

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जबलपुर में ही बन रही एम्फोटेरिसिन-B

बता दें कि जिले का ये हाल तब है जब जबलपुर में ही ब्लैक फंगस के उपचार में इस्तेमाल की जाने वाली एम्फोटेरिसिन-बी इंजेक्शन का उत्पादन हो रहा है. हेल्थ डायरेक्टर संजय मिश्रा का कहना है कि क्योंकि कंपनी का करार पहले से दूसरी कंपनियों से हो चुका है, लिहाजा इस स्थिति में जबलपुर को इस कंपनी से इंजेक्शन नहीं मिल पा रहे हैं.

रेवा केयर कंपनी बना रही इंजेक्शन

आपको बता दें कि जबलपुर में ही रेवा केयर नाम की कंपनी ब्लैक फंगस का इंजेक्शन बनाने का काम कर रही है. इसके बावजूद यहां इजेक्शन की कमी है. जबकि कंपनी ने ये कहा था कि उसकी पहली प्रथमिकता जिले के साथ मध्य प्रदेश को इंजेक्शन देने की होगी, लेकिन ऐसा नहीं होता हुआ दिखाई दे रहा है. जिससे मरीजों को परेशानी होने लगी है.

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