अल्मोड़ा: नोएडा के बहुचर्चित निठारी कांड के आरोपी सुरेंद्र कोली को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दोषमुक्त कर दिया है। जानकारी के मुताबिक सुरेंद्र कोली के मुंगरूखाल गांव स्थित पैतृक घर पर ताला पड़ा है। उसका गांव पौड़ी गढ़वाल की सीमा के पास है। मुंगरूखाल के पूर्व प्रधान जोगा सिंह ने बताया कि तीन-चार साल पहले सुरेंद्र कोली की माता कुंती देवी का निधन हो चुका है।
जोगा सिंह ने बताया कि सुरेंद्र चार भाइयों में दूसरे नंबर का है। उसे पुलिस पौड़ी और अल्मोड़ा के सीमा पर आयोजित कालिका मेले से गिरफ्तार कर ले गई थी। सुरेंद्र कोली का एक बेटा और एक बेटी है। उसकी पत्नी शांति देवी वर्ष 2008-09 से गांव में नहीं आई है। उसके तीनों भाई बाहर रहते हैं। वे कभी कभार ही घर आते हैं।
दोनों पर संगीन आरोप
बता दें कि निचली अदालत ने उसे फांसी की सजा सुनाई थी। इसके खिलाफ उसने इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। वहीं, कोठी डी-5 के मालिक मनिंदर सिंह पंढेर को भी कोर्ट ने बरी कर दिया है। निठारी कांड के आरोपी मनिंदर सिंह पंढेर व सुरिंदर कोली को फांसी की सजा के खिलाफ अपीलों पर दोनों पक्षों की बहस पूरी होने के बाद इलाहाबाद हाईकोर्ट ने फैसला सुरक्षित कर लिया था।
दोनों ने फांसी की सजा के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील दायर की है। विभिन्न खंडपीठों ने 134 दिन की लंबी सुनवाई की। कोली पर आरोप है कि वह पंढेर कोठी का केयरटेकर था और लड़कियों को लालच देकर कोठी में लाता था। निठारी गांव की दर्जनों लड़कियों गायब हो गईं। वह उनसे दुष्कर्म कर हत्या कर देता था। लाश के टुकड़े कर बाहर फेंक आता था।
दास्तान जिसे भूलना मुश्किल
यह फैसला न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार मिश्रा और न्यायमूर्ति एसएएच रिजवी की अदालत ने सुनाया है। निठारी कांड, भारतीय इतिहास का एक ऐसा अपराध। जिसने पूरे देश को चौंका दिया था। इस कांड के पीछे एक ऐसी दास्तान है, जिसे भूलना मुश्किल है। नोएडा के एक छोटे से गांव निठारी में खुदाई काम कर रहे मजदूरों को कई महिलाओं और बच्चों का शव बरामद हुआ। इसमें सुरेंद्र कोली और पंडेर को आरोपी बनाया गया। इस कांड ने समाज को उसकी कमियों का सामना कराया।