संभल. लक्ष्मणगंज में बावड़ी की खुदाई का काम जोरों पर है. यहां बावड़ी का सिरा पार्क के क्षेत्रफल से आगे निकल गया है. लक्ष्मणगंज के मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र में ये खुदाई जारी है. सड़क के नीचे बावड़ी और उसके ऊपर बनी सड़क के कारण खुदाई का दायरा बढ़ा है. सड़क पार एक तीन मंजिला कोठी के नीचे भी बावड़ी का क्षेत्र मिलने की पुष्टि हुई है.

बता दें कि बीते 22 दिसंबर को श्री कल्कि मंदिर का सर्वे के बाद चंदौसी में खुदाई के दौरान बावड़ी और 4 कमरानुमा आकृति मिली थी. मौके पर जिला अधिकारी और पुलिस अधीक्षक भी मौजूद थे. नगरपालिका की टीम खुदाई कर रही थी. बावड़ी की खुदाई में प्रशासन को कमरे और दीवारें नजर आईं थी. गहराई में तीन मंजिल तक कमरे बने होने का दावा पहले ही किया गया था. जिसको देखते हुए खुदाई जारी रखी गई थी. ताकि, ये पता लगाया जा सके कि जो कमरानुमा आकृति बनी है, वह असल में है क्या. वैसे कुछ लोग इस आकृति को रानी की बावड़ी बता रहे हैं.

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जानकारी के मुताबिक जो बावड़ी प्रशासन को मिली है, वह संभल शाही जामा मस्जिद से केवल 3 किलोमीटर दूरी पर ही है. लोगों का कहना है कि सम्राट पृथ्वीराज चौहान ने 900 साल पहले इसे बनवाया था. यह प्राचीन बावड़ी में 2 मंजिला और 5 गलियारे हैं. जिसकी ऊंचाई लगभग 15 फीट है. बावड़ी के बाहर बरगद का पेड़ हैं, जहां भगवान की मूर्ति बनी हुई है और यहां पूजा पाठ के भी निशान हैं.

7 मंजिल की थी बावड़ी

इतिहासकारों का कहना है कि सम्राट पृथ्वीराज चौहान के जीवनकाल में इस बावड़ी का बेहद महत्वपूर्ण स्थान था. अब भी लोगों के मन में इस बावड़ी के प्रति लगाव देखने को मिला है. लोग यहां पूजा-पाठ करते हैं. इस बावड़ी के मिलने के बाद लोगों के कहना है कि ये 7 मंजिला की थी, जिसे पाट दिया गया था.